एशिया प्रशांत दौरे पर साम्राज्यवादी अतीत से हुआ किंग चार्ल्स का सामना

ऑस्ट्रेलिया और समोआ के दौरे पर पहुंचे ब्रिटेन के किंग चार्ल्स को कई जगह तीखे विरोध का सामना करना पड़ा.

एजेंसी न्यूज Deutsche Welle|
एशिया प्रशांत दौरे पर साम्राज्यवादी अतीत से हुआ किंग चार्ल्स का सामना
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

ऑस्ट्रेलिया और समोआ के दौरे पर पहुंचे ब्रिटेन के किंग चार्ल्स को कई जगह तीखे विरोध का सामना करना पड़ा. कॉमनवेल्थ सम्मेलन में भी माफी और न्याय की मांग उठी.ब्रिटेन के राजा चार्ल्स जब शुक्रवार को एशिया प्रशांत क्षेत्र के देश समोआ पहुंचे तो उन्हें अपने देश के औपनिवेशिक इतिहास की ज्यादतियों का सामना करना पड़ा. जब सामोआ में कॉमनवेल्थ नेताओं का एक दोस्ताना शिखर सम्मेलन विवादास्पद बहस में बदल गया, जिसमें दासता और साम्राज्य की विरासत पर चर्चा हुई.

56 देशों के कॉमनवेल्थ के नेता, जिनमें ज्यादातर ब्रिटेन के पूर्व उपनिवेश हैं, एक शिखर सम्मेलन के लिए सामोआ में जमा हुए थे. लेकिन जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर एकजुट होने के बजाय, किंग चार्ल्स का यह पहला शिखर सम्मेलन इतिहास के साये में चला गया.

कई अफ्रीकी, कैरेबियन और प्रशांत देशों ने ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय शक्तियों से दासता के लिए वित्तीय या कम से कम राजनीतिक मुआवजा देन_item_li"> बिजनेस

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एशिया प्रशांत दौरे पर साम्राज्यवादी अतीत से हुआ किंग चार्ल्स का सामना

ऑस्ट्रेलिया और समोआ के दौरे पर पहुंचे ब्रिटेन के किंग चार्ल्स को कई जगह तीखे विरोध का सामना करना पड़ा.

एजेंसी न्यूज Deutsche Welle|
एशिया प्रशांत दौरे पर साम्राज्यवादी अतीत से हुआ किंग चार्ल्स का सामना
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

ऑस्ट्रेलिया और समोआ के दौरे पर पहुंचे ब्रिटेन के किंग चार्ल्स को कई जगह तीखे विरोध का सामना करना पड़ा. कॉमनवेल्थ सम्मेलन में भी माफी और न्याय की मांग उठी.ब्रिटेन के राजा चार्ल्स जब शुक्रवार को एशिया प्रशांत क्षेत्र के देश समोआ पहुंचे तो उन्हें अपने देश के औपनिवेशिक इतिहास की ज्यादतियों का सामना करना पड़ा. जब सामोआ में कॉमनवेल्थ नेताओं का एक दोस्ताना शिखर सम्मेलन विवादास्पद बहस में बदल गया, जिसमें दासता और साम्राज्य की विरासत पर चर्चा हुई.

56 देशों के कॉमनवेल्थ के नेता, जिनमें ज्यादातर ब्रिटेन के पूर्व उपनिवेश हैं, एक शिखर सम्मेलन के लिए सामोआ में जमा हुए थे. लेकिन जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर एकजुट होने के बजाय, किंग चार्ल्स का यह पहला शिखर सम्मेलन इतिहास के साये में चला गया.

कई अफ्रीकी, कैरेबियन और प्रशांत देशों ने ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय शक्तियों से दासता के लिए वित्तीय या कम से कम राजनीतिक मुआवजा देने की अपील की है. वे इस शिखर सम्मेलन में विशेष रूप से पुनर्स्थापनात्मक न्याय (रेस्टोरेटिव जस्टिस) पर चर्चा करने की मांग कर रहे हैं. यह एक ऐसा विषय है जिस पर ब्रिटेन की सरकार बात करने से बचती रही है.

बहामास के प्रधानमंत्री फिलिप डेविस ने एएफपी को बताया कि अतीत पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, "अब समय आ गया है कि इस पर वास्तविक संवाद हो कि हम इन ऐतिहासिक गलतियों को कैसे ठीक करें. रेस्टोरिव जस्टिस एक आसान चर्चा नहीं है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है. दासता की भयावहता ने हमारे समुदायों में एक गहरी, पीढ़ियों पुरानी चोट छोड़ी है, और न्याय की लड़ाई खत्म नहीं हुई है."

सम्मेलन में तनाव

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने अब तक सार्वजनिक रूप से मुआवजा देने की मांग को अस्वीकार किया है, और उनके सहायक शिखर सम्मेलन में माफी मांगने से भी इनकार कर चुके हैं. सदियों तक दास व्यापार का लाभ पाने वाले ब्रिटेन के शाही परिवार को भी माफी की मांगों का सामना करना पड़ा है.

महारानी के निधन के साथ ऑस्ट्रेलिया में गणतंत्र की मांग तेज

लेकिन इन मांगों के चलते कॉमनवेल्थ सम्मेलन में माहौल तनावपूर्ण हो गया. इस सम्मेलन के साझा बयान में भी उपनिवेशवाद पर चर्चा करने की मांग जोर पकड़ रही है. एक राजनयिक स्रोत ने नाम ना छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि विकसित देश अंतिम साझा बयान में भी भाषा को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.

डेविस कहते हैं कि यह मांग सिर्फ धन के रूप में मुआवजे के बारे में नहीं है. उन्होंने कहा, "यह शोषण के सदियों के प्रभाव को मान्यता देने और दासता की विरासत को ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ संबोधित करने के बारे में है."

लेसोथो के जोशुआ सेटिपा कॉमनवेल्थ के अगले महासचिव बनने के लिए तीन उम्मीदवारों में से एक हैं. वह कहते हैं कि पुनर्स्थापन में जलवायु वित्त जैसे गैर-परंपरागत भुगतान के रूप भी शामिल हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, "हम एक समाधान खोज सकते हैं जो अतीत के कुछ अन्यायों को संबोधित करना शुरू कर सके और उन्हें आज के संदर्भ में रख सके."

लंदन विश्वविद्यालय के कॉमनवेल्थ अध्ययन संस्थान के निदेशक किंग्सले एबट ने कहा कि पुनर्स्थापनात्मक न्याय के विषय को शामिल करना कॉमनवेल्थ के लिए एक "महत्वपूर्ण प्रगति" है. एबट ने कहा कि यह "सार्थक संवाद का दरवाजा खोलने" का संकेत है.

ऑस्ट्रेलिया में भी विरोध

ब्रिटिश शासक ऑस्ट्रेलिया और समोआ के 11 दिन के दौरे पर थे. समोआ से पहले वह ऑस्ट्रेलिया में थे. वहां भी एक सांसद ने सार्वजनिक रूप से उनकी मौजूदगी में साम्राज्यवादी अतीत का जिक्र किया, जिससे देश में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया.

ऑस्ट्रेलिया की संसद के एक कमरे में आयोजित एक समारोह में लीडिया थॉर्प ने सबके सामने चिल्लाते हुए कहा, "आप हमारे राजा नहीं हैं. आपने हमारी जमीन चुराई है. आपने हमारी जिंदगियों को बर्बाद किया है.”

यह पहली बार नहीं है जब ब्रिटिश राज परिवार को पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों के दौरे के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा है. 2022 में प्रिंस विलियम और प्रिंसेस कैथरीन ने महारानी की प्लेटिनम जुबली के मौके पर कैरेबियाई देशों का दौरा किया था. इस दौरान विरोध प्रदर्शन हुए, उपनिवेश और गुलामी पर चर्चाएं हुईं और स्थानीय मीडिया में राज परिवार की शैली, संवेदनशीलता और योग्यता के बारे में नकारात्मक टिप्पणियां की गईं.

ब्रिटेन ने हाल ही में चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपने का समझौता किया है. हालांकि, वहां मौजूद अमेरिकी सैन्य अड्डा बना रहेगा और उस पर ब्रिटेन व अमेरिका का अधिकार होगा. ब्रिटेन आज भी 13 क्षेत्रों और देशों पर राज करता है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)

बहामास के प्रधानमंत्री फिलिप डेविस ने एएफपी को बताया कि अतीत पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, "अब समय आ गया है कि इस पर वास्तविक संवाद हो कि हम इन ऐतिहासिक गलतियों को कैसे ठीक करें. रेस्टोरिव जस्टिस एक आसान चर्चा नहीं है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है. दासता की भयावहता ने हमारे समुदायों में एक गहरी, पीढ़ियों पुरानी चोट छोड़ी है, और न्याय की लड़ाई खत्म नहीं हुई है."

सम्मेलन में तनाव

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने अब तक सार्वजनिक रूप से मुआवजा देने की मांग को अस्वीकार किया है, और उनके सहायक शिखर सम्मेलन में माफी मांगने से भी इनकार कर चुके हैं. सदियों तक दास व्यापार का लाभ पाने वाले ब्रिटेन के शाही परिवार को भी माफी की मांगों का सामना करना पड़ा है.

महारानी के निधन के साथ ऑस्ट्रेलिया में गणतंत्र की मांग तेज

लेकिन इन मांगों के चलते कॉमनवेल्थ सम्मेलन में माहौल तनावपूर्ण हो गया. इस सम्मेलन के साझा बयान में भी उपनिवेशवाद पर चर्चा करने की मांग जोर पकड़ रही है. एक राजनयिक स्रोत ने नाम ना छापने की शर्त पर समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि विकसित देश अंतिम साझा बयान में भी भाषा को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं.

डेविस कहते हैं कि यह मांग सिर्फ धन के रूप में मुआवजे के बारे में नहीं है. उन्होंने कहा, "यह शोषण के सदियों के प्रभाव को मान्यता देने और दासता की विरासत को ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ संबोधित करने के बारे में है."

लेसोथो के जोशुआ सेटिपा कॉमनवेल्थ के अगले महासचिव बनने के लिए तीन उम्मीदवारों में से एक हैं. वह कहते हैं कि पुनर्स्थापन में जलवायु वित्त जैसे गैर-परंपरागत भुगतान के रूप भी शामिल हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, "हम एक समाधान खोज सकते हैं जो अतीत के कुछ अन्यायों को संबोधित करना शुरू कर सके और उन्हें आज के संदर्भ में रख सके."

लंदन विश्वविद्यालय के कॉमनवेल्थ अध्ययन संस्थान के निदेशक किंग्सले एबट ने कहा कि पुनर्स्थापनात्मक न्याय के विषय को शामिल करना कॉमनवेल्थ के लिए एक "महत्वपूर्ण प्रगति" है. एबट ने कहा कि यह "सार्थक संवाद का दरवाजा खोलने" का संकेत है.

ऑस्ट्रेलिया में भी विरोध

ब्रिटिश शासक ऑस्ट्रेलिया और समोआ के 11 दिन के दौरे पर थे. समोआ से पहले वह ऑस्ट्रेलिया में थे. वहां भी एक सांसद ने सार्वजनिक रूप से उनकी मौजूदगी में साम्राज्यवादी अतीत का जिक्र किया, जिससे देश में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया.

ऑस्ट्रेलिया की संसद के एक कमरे में आयोजित एक समारोह में लीडिया थॉर्प ने सबके सामने चिल्लाते हुए कहा, "आप हमारे राजा नहीं हैं. आपने हमारी जमीन चुराई है. आपने हमारी जिंदगियों को बर्बाद किया है.”

यह पहली बार नहीं है जब ब्रिटिश राज परिवार को पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों के दौरे के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा है. 2022 में प्रिंस विलियम और प्रिंसेस कैथरीन ने महारानी की प्लेटिनम जुबली के मौके पर कैरेबियाई देशों का दौरा किया था. इस दौरान विरोध प्रदर्शन हुए, उपनिवेश और गुलामी पर चर्चाएं हुईं और स्थानीय मीडिया में राज परिवार की शैली, संवेदनशीलता और योग्यता के बारे में नकारात्मक टिप्पणियां की गईं.

ब्रिटेन ने हाल ही में चागोस द्वीपसमूह को मॉरीशस को सौंपने का समझौता किया है. हालांकि, वहां मौजूद अमेरिकी सैन्य अड्डा बना रहेगा और उस पर ब्रिटेन व अमेरिका का अधिकार होगा. ब्रिटेन आज भी 13 क्षेत्रों और देशों पर राज करता है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)

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