Kerala: अनुपमा ने बच्चे को अदालत के समक्ष पेश करने को लेकर अर्जी दायर की

अनुपमा ने अपने माता-पिता के अलावा पुलिस और बाल कल्याण समिति पर भी आरोप लगाया है कि उसने मिलकर उसके बेटे को ले जाने की साजिश रची. अनुपमा ने आरोप लगाया है कि हालांकि उसने अप्रैल से कई बार पुलिस में शिकायत की कि उसके माता-पिता ने क्या किया, लेकिन वह परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज करने को लेकर अनिच्छुक थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: pixabay)

कोच्चि: माकपा की स्थानीय समिति के एक सदस्य की बेटी अनुपमा एस चंद्रन (Anupama S Chandran) ने अपने बच्चे को वापस पाने के लिए सोमवार को केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) में एक याचिका दायर की. अनुपमा ने आरोप लगाया है कि उसके बच्चे को गोद देने के लिए उसके माता-पिता ने उसकी जानकारी के बिना पिछले साल प्रक्रिया शुरू कर दी थी. अनुपमा का कहना है कि उसने बच्चे को उसके जन्म के बाद लगभग एक वर्ष से देखा नहीं है. Kerala: कोझिकोड के थोट्टीपलम में 17 वर्षीय लड़की के साथ गैंगरेप, प्रेमी समेत 4 गिरफतार

अनुपमा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति सी जयचंद्रन की पीठ के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुई. इस याचिका में पुलिस को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह उनके बच्चे को अदालत के समक्ष पेश करे.

अनुपमा हाल ही में तब चर्चा में आयी थी, जब उसने आरोप लगाया था कि उसके चार दिन के बच्चे को उसके माता-पिता उसकी सहमति और जानकारी के बिना ले गए और छोड़ दिया. बच्चे का जन्म पिछले साल 19 अक्टूबर को हुआ था. अनुपमा के माता-पिता ने आरोप को खारिज किया है.

अनुपमा ने अपने माता-पिता के अलावा पुलिस और बाल कल्याण समिति पर भी आरोप लगाया है कि उसने मिलकर उसके बेटे को ले जाने की साजिश रची. अनुपमा ने आरोप लगाया है कि हालांकि उसने अप्रैल से कई बार पुलिस में शिकायत की कि उसके माता-पिता ने क्या किया, लेकिन वह परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज करने को लेकर अनिच्छुक थी.

हालांकि, पेरुर्कडा पुलिस ने बाद में कहा कि उसके माता-पिता, बहन और पति और पिता के दो दोस्तों सहित छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने कहा कि देरी इसलिए हुई क्योंकि वे कानूनी राय का इंतजार कर रहे थे. पिछले हफ्ते की शुरुआत में, एक पारिवारिक अदालत ने बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और पुलिस को सीलबंद लिफाफे में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. परिवार अदालत ने सरकार से भी यह स्पष्ट करने को कहा था कि बच्चे को छोड़ दिया गया था या गोद लेने के लिए दिया गया था.

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