Kharge Letter To Dhankhar: सांसदों का निलंबन पूर्व नियोजित था, दिल्ली से बाहर होने के कारण नहीं मिल सकता
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नयी दिल्ली, 25 दिसंबर: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को जवाबी पत्र लिखकर कहा है कि विपक्षी सांसदों का सामूहिक निलंबन पूर्व नियोजित था और संसदीय परंपराओं को नुकसान पहुंचाने के लिए सत्तारूढ़ दल द्वारा इसका हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया. उन्होंने धनखड़ द्वारा बातचीत के बुलावे पर कहा कि वह दिल्ली में नहीं हैं. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने गत 23 दिसंबर को खरगे को लिखे पत्र में कहा था कहा कि सदन में शीतकालीन सत्र में व्यवधान इरादातन और रणनीति के तहत था.

धनखड़ ने पत्र में कहा था, ‘‘इस प्रकरण में मुख्य विपक्षी दल की पूर्व नियोजित भूमिका की ओर इंगित करके मैं आपको शर्मिंदा नहीं करना चाहता, लेकिन जब कभी भी मुझे आपसे बातचीत करने का अवसर मिलेगा मैं आपसे वह साझा अवश्य करूंगा.’’ धनखड़ ने खरगे को संसद में व्यवधान और विपक्षी सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर बातचीत के लिए 25 दिसंबर को अपने आवास पर आमंत्रित किया था.

शीतकालीन सत्र के खत्म होने के बाद भी धनखड़ और खरगे के बीच पत्राचार हुआ था. खरगे ने 24 दिसंबर की तिथि वाले अपने जवाबी पत्र में कहा कि वह सभापति की इस बात से सहमत हैं कि अब आगे बढ़ने की जरूरत है, लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘‘अगर सरकार सदन चलाने की इच्छुक नहीं है तो इसका हल सभापति के कक्ष में चर्चा करने से नहीं निकल सकता.’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वह फिलहाल दिल्ली से बाहर हैं और वापस आते ही सभापति से मिलना उनके लिए सम्मान की बात होगी और यह उनका कर्तव्य भी है.

पत्र में सभापति द्वारा उल्लेखित कुछ बिंदुओं का जवाब देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि विपक्षी सांसदों का निलंबन बिना सोच विचार के कर दिया गया तथा सदन में संरक्षक के रूप में सभापति को संसद के भीतर सरकार को जवाबदेह ठहराने के लोगों के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष ‘‘लोकतंत्र को कमजोर करने, संसदीय परंपराओं को नष्ट करने और संविधान का गला घोंटने’’ के लिए सांसदों के निलंबन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है.

जवाबी पत्र में खरगे ने यह भी कहा कि सभापति का पत्र ‘‘दुर्भाग्य से संसद के प्रति सरकार के निरंकुश और अहंकारी रवैये को उचित ठहराता है.’’ उनका कहना था, ‘‘विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए विशेषाधिकार प्रस्तावों को भी हथियार बनाया गया है. यह संसद को कमजोर करने के लिए सत्तापक्ष द्वारा जानबूझकर तैयार की गई रणनीति है. सांसदों को निलंबित करके सरकार कुल मिलाकर 146 सांसदों के क्षेत्रों के मतदाताओं की आवाज को चुप करा रही है.’’

खरगे ने पत्र में कहा, ‘‘आपने यह भी उल्लेख किया है कि सदन में अव्यवस्था इरादतन और पूर्व निर्धारित थी. मैं यह कहना चाहूंगा कि संसद के दोनों सदनों से विपक्षी सांसदों का सामूहिक निलंबन सरकार द्वारा पूर्व निर्धारित और पूर्व नियोजित प्रतीत होता है. मुझे यह कहते हुए बहुत दुख हो रहा है कि बिना सोचे-समझे इसे अंजाम दे दिया गया. ‘इंडिया’ गठबंधन से संबंधित एक सदस्य को तो तब निलंबित कर दिया गया जब वह सदन में मौजूद भी नहीं थे.’’

सदन में तख्तियां लहराने और नारे लगाने के आरोप में शीतकालीन सत्र में कुछ दिनों के भीतर ही 146 सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. इनमें से ज्यादातर सदस्यों को शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया था और सत्र समाप्ति के बाद उनका निलंबन भी स्वत: ही समाप्त हो चुका है.

लेकिन कुछ सदस्यों के मामले को विशेषाधिकार समिति के विचारार्थ भेजा गया था और समिति की रिपोर्ट आने तक उनका निलंबन जारी रहेगा. शीतकालीन सत्र के लिए दोनों सदनों की बैठक बृहस्पतिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. विपक्षी सांसद 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक की घटना को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से बयान की मांग को लेकर दोनों सदनों में नारेबाजी कर रहे थे.

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