देश की खबरें | भाजपा और जद (एस) के सूखा अध्ययन दौरे को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने प्रचार का हथकंडा करार दिया

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बेंगलुरु, 10 नवंबर भाजपा और जद(एस) के सूखा अध्ययन दौरे को प्रचार का हथकंडा करार देते हुये कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने शुक्रवार को इन दोनों दलों के सांसदों और विधायकों से कहा कि वे इसके बजाय प्रधानमंत्री एवं संबंधित केंद्रीय मंत्रियों से मिलें और सुनिश्चित करें कि राज्य को राहत मिले।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने केंद्र पर राज्य को सूखा राहत प्रदान करने में ‘भेदभाव’ करने का आरोप लगाया।

विपक्षी भारतीय जनता पार्टी प्रदेश भर में टीम भेज कर सूखा अध्ययन यात्रा कर रही है, वहीं जद (एस) के प्रदेश अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी ने हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी दिसंबर में ‘रैयत सांत्वना यात्रे’ निकालेगी।

उन्होंने दोनों दलों का मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘‘भाजपा और जद(एस) नेता दया भाव से सूखा अध्ययन यात्रा पर जा रहे हैं।’’

शिवकुमार ने कहा, ‘‘कर्नाटक सरकार पहले ही एक सर्वेक्षण करा चुकी है और केंद्र सरकार को एक ज्ञापन सौंप चुकी है, जिसने स्थिति का आकलन करने के लिए अधिकारियों की एक टीम भी भेजी है।’’

उपमुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘भाजपा और जद (एस) के 26 सांसदों और दोनों दलों के क्रमश: 66 और 19 विधायकों को दिल्ली जाना चाहिए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मंत्रियों से मिलना चाहिए और राज्य को राहत राशि दिलानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रचार के लिए (भ्रमण पर) जाने और दो पौधों का निरीक्षण कर वापस आना सही नहीं है, हम पहले ही देख चुके हैं, यदि आप चाहते हैं - तो जाएं और प्रचार पाएं - लेकिन यह भी सुनिश्चित करें कि राज्य को आपसे लाभ हो, यह महत्वपूर्ण है। हम आपकी केंद्र सरकार के सामने भीख नहीं मांग रहे हैं, हम केंद्र से नियमानुसार राहत राशि जारी करने के लिए कह रहे हैं, यह हमारा अधिकार है।”

कर्नाटक ने राज्य के कुल 236 तालुकों में से 216 को सूखाग्रस्त घोषित किया है। राज्य सरकार ने 33,770 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का आकलन किया है, और मानदंडों के अनुसार 17,900 करोड़ रुपये की केंद्रीय सूखा राहत की मांग की है।

यह देखते हुए कि सूखे की स्थिति से निपटने के लिए उपायुक्तों के पास 800 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं, उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस धनराशि का इस्तेमाल पेयजल, चारा और अन्य जरूरतों के लिए करने के निर्देश दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि 200 से अधिक तालुकों के सूखे की चपेट में होने के कारण, राज्य ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत कार्य दिवस को 100 दिन से बढ़ाकर 150 दिन करने का निर्णय लिया है और इस संबंध में केंद्र को पत्र लिखा है।

उन्होंने कहा कि करीब दो महीने हो गए, लेकिन केंद्र की ओर से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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