देश की खबरें | न्यायमूर्ति बाग कमेटी ने विद्यालयों में ‘अवैध’ नियुक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

कोलकाता, 13 मई कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक समिति ने शुक्रवार को अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित या वित्त पोषित विद्यालयों में ग्रुप-सी के पदों पर 381 अवैध नियुक्तियां की गयी हैं।

अदालत के पूर्व न्यायाधीश आर. के. बाग की अध्यक्षता वाली समिति ने विद्यालय सेवा आयोग (एसएससी) के चार पूर्व राज्य अधिकारियों और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) के निवर्तमान अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक मुकदमे शुरू करने की सिफारिश की है।

समिति ने एसएसएसी के छह अन्य पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी सिफारिश की है।

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षक एवं शिक्षेतर कर्मचारियों की भर्ती की निगरानी के लिए 2019 में शिक्षा विभाग द्वारा गठित पांच-सदस्यीय समिति कानूनी तौर पर वैध नहीं थी। उस वक्त शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्था चटर्जी संभाल रहे थे।

रिपोर्ट के अनुसार, गैर-कानूनी नियुक्तियों में डब्ल्यूबीबीएसई के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली और पांच सदस्यीय समिति के अध्यक्ष एस. पी. सिन्हा के बीच सांठगांठ थी।

न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और न्यायमूर्ति आनंद कुमार मुखर्जी की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि वह इस मामले में 18 मई को निर्णय सुनाएगी।

न्यायमूर्ति बाग की अध्यक्षता वाली समिति के सदस्य अधिवक्ता अरुणाभ बंदोपाध्याय ने रिपोर्ट सौंपते हुए पीठ से कहा कि 381 उम्मीदवारों की नियुक्तियों के मसले में व्यापक अनियमितताएं की गयी हैं और नियमों एवं प्रक्रियाओं की अनदेखी की गयी है।

समिति ने एसएससी के पूर्व अध्यक्ष सौमित्र सरकार, पूर्व सचिव अशोक साहा, डब्ल्यूबीबीएसई के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली, एसएससी के पूर्व सलाहकार एस. पी. सिन्हा तथा पांच सदस्यीय समिति के प्रमुख एस. पी. सिन्हा तथा प्रोग्राम ऑफिसर एस आचार्य के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश की है।

समिति ने एसएसएसी के जिन छह पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है, उनमें सुबिरेश भट्टाचार्य, शर्मिला मित्रा, महुआ बिस्वास, चैताली भट्टाचार्य, सुभजीत चट्टोपाध्याय एवं एस. के. सिराजुद्दीन शामिल हैं।

न्यायमूर्ति बाग समिति ने ग्रुप-डी के कर्मचारियों की नियुक्तियों में भी कथित अनियमितताओं को लेकर इससे पहले अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)