देश की खबरें | न्यायधीश संन्यासी नहीं, वे भी काम का दबाव महसूस करते : न्यायमूर्ति एलएन राव

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नयी दिल्ली, 20 मई उच्चतम न्यायालय के पांचवें सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल.एन.राव ने शुक्रवार को कहा कि न्यायाधीश, संन्यासी नहीं हैं और कई बार वे भी काम का दबाव महसूस करते हैं।

उन्होंने यह राय भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के साथ अपने आखिरी प्रभावी कार्य दिवस पर ‘रस्मी पीठ’ साझा करते हुए रखी। वह अवकाश प्राप्त करने जा रहे हैं।

न्यायमूर्ति राव उच्चतम न्यायालय के इतिहास में सातवें व्यक्ति हैं जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्होंने शीर्ष अदालत में न्यायाधीश के छह साल के कार्यकाल को ‘‘अच्छा प्रवास’’करार देते हुए अपने वकालत के दिनों को भी याद किया।

न्यायमूर्ति राव ने कहा, ‘‘ मैं इस बार का 22 साल से सदस्य हूं और आपके प्रेम और लगाव ने मेरे कार्य को आसान बना दिया। मुझे बहुत बेहतर ढंग से कार्य करने का मौका मिला। आप सभी को धन्यवाद।’’

उन्होंने कहा,‘‘यहां तक कि आज भी मैं महसूस करता हूं कि इस तरफ के मुकाबले वह तरफ (वकीलों की ओर) कहीं बेहतर है और मौका मिलता तो मैं जीवन भर उधर की ओर रहता। बहुत-बहुत धन्यवाद। मैंने अपने न्यायाधीश भाई और बहन से सीखा और मुझे उम्मीद है मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरा क्योंकि मैं भी इस बार से हूं।’’

बार सदस्यों, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की ओर से दी गई बधाई पर न्यायमूर्ति राव ने कहा कि वह अधिवक्ताओं से क्षमा मांगना चाहते हैं अगर अदालती कार्यवाही के दौरान उन्होंने आहत किया हो।

उन्होंने कहा, ‘‘कई बार काम का दबाव होता है क्योंकि हम संन्यासी नहीं हैं। मुझे पता है कि कई बार मैंने तेज आवाज में बोला , कम से कम से वकीलों की आवाज को धीमी करने के लिए आवाज उठाई।’’

न्यायमूर्ति राव ने कहा कि वह पूरी जिंदगी वकील रहना पसंद करेंगे।

रस्मी पीठ की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई रमण ने कहा कि उन्होंने और न्यायमूर्ति राव ने वकालत की शुरुआत आंध्र प्रदेश में एक ही स्थान से की।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘वह पहली पीढ़ी के वकील हैं। उनका कोई गॉडफादर या समर्थन नहीं था। मैं उन्हें और उनके परिवार को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। यह बहुत भावुक करने वाला दिन है। हमने एक साथ अपने करियर की शुरुआत की थी, और कुछ समय के बाद मैं भी अवकाश प्राप्त करूंगा। इनका (न्यायमूर्ति राव) मेरे लिए मजबूत समर्थन है।’’

सीजेआई ने संकेत दिया कि न्यायमूर्ति राव सात जून को अवकाश प्राप्त करने के बाद हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की अध्यक्षता कर सकते हैं।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि वह अपनी कुछ टिप्पणी एससीबीए द्वारा शाम को आयोजित विदाई समारोह के लिए बचा रहे हैं।

वेणगोपाल ने इस मौके पर कुछ फैसलों का उल्लेख किया जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए एजी पेरारिवलन को राहत देना शामिल है। यह फैसला न्यायमूर्ति राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया है।

सॉलिसीटर जनरल ने कहा, ‘‘मैंने एक मनुष्य के तौर पर उनसे बहुत कुछ सीखा।

उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति राव सात जून को अवकाश प्राप्त कर रहे हैं और शुक्रवार को उनका आखिरी कार्य दिवस था क्योंकि शीर्ष अदालत में आज से गर्मियों की छुट्टियां हो रही हैं।

न्यायमूर्ति राव आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले स्थित चिराला के रहने वाले हैं। उन्होंने गुंटुर स्थित नागार्जुन विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और वर्ष 1982 में आंध्र प्रदेश के बार काउंसिल में वकील के तौर पर अपना पंजीकरण कराया।

उन्होंने गुंटुर जिला अदालत में दो साल तक वकालत की और इसके बाद आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में वकालत करने चले आए और वर्ष 1994 तक वहां वकालत की।

न्यायमूर्ति राव ने जनवरी 1995 से मई 2016 तक उच्चतम न्यायालय में वकालत की और यहां वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के बाद अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल की जिम्मेदारी निभाई।

उन्हें 13 मई 2016 में उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

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