Jammu and Kashmir: वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सुरक्षा चूक की बात को खारिज किया

जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने घाटी में हाल में असैन्य नागरिकों की हत्या के पीछे किसी भी तरह की सुरक्षा चूक से इनकार किया और कहा कि उन सभी को सुरक्षा मुहैया कराना संभव नहीं है, जो आतंकियों के आसान लक्ष्य (सॉफ्ट टारगेट) हो सकते हैं.

सुरक्षाबलों (Photo Credits: ANI)

श्रीनगर, 16 अक्टूबर : जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने घाटी में हाल में असैन्य नागरिकों की हत्या के पीछे किसी भी तरह की सुरक्षा चूक से इनकार किया और कहा कि उन सभी को सुरक्षा मुहैया कराना संभव नहीं है, जो आतंकियों के आसान लक्ष्य (सॉफ्ट टारगेट) हो सकते हैं. कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) विजय कुमार ने यहां एक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा कि पिछले सप्ताह मारे गए किसी भी रहवासी को पुलिस ने सुरक्षा मुहैया नहीं कराई थी. पिछले हफ्ते कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के चार लोगों सहित सात असैन्य नागरिकों की हत्या कर दी गई थी, जिससे घाटी में लोगों में डर पैदा हो गया और राजनीतिक दलों ने सुरक्षा तंत्र की आलोचना की. कुमार ने कहा, ''सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई... उन्होंने (आतंकवादियों) ने आसान लक्ष्य चुना, हमने उन्हें (नागरिकों को) सुरक्षा मुहैया नहीं कराई थी. सभी आसान लक्ष्यों (सॉफ्ट टारगेट) को सुरक्षा मुहैया कराना संभव नहीं है.''

उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने तेजी से कार्रवाई की और हत्याओं में शामिल सभी पांच आतंकवादियों की पहचान कर ली. उन्होंने कहा, ''उनमें से दो को ढेर कर दिया गया है और अन्य तीन को भी जल्द ही ढूंढ लिया जाएगा.'' राजनेताओं द्वारा की गई सुरक्षा तंत्र की आलोचना को खारिज करते हुए कुमार ने कहा कि पुलिस पेशेवर तरीके से स्थिति से निपट रही है. उन्होंने कहा, ''राजनेताओं का काम हर तरह के बयान देना है. मैं एक पेशेवर हूं और मुझे पता है कि इससे कैसे निपटना है. हम इससे पेशेवर तरीके से निपट रहे हैं.'' यह भी पढ़ें : NCR Air Pollution: एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति खतरनाक स्तर पर पहुंची

आईजीपी ने कहा कि आठ अक्टूबर से अब तक नौ मुठभेड़ों में 11 आतंकवादी मारे गए हैं. उन्होंने कहा, ''दो और (पंपोर में एक मुठभेड़ में) घिरे हुए हैं और वे भी जल्द ही मारे जाएंगे.'' कई राजनीतिक नेताओं ने कश्मीर में निवासियों की हत्याओं को लेकर केंद्र और सुरक्षा बलों की आलोचना की थी. कुछ ने यह भी मांग की थी कि ''बार-बार सुरक्षा चूक'' के लिए जवाबदेही तय हो और घाटी में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान की जाए.

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