WTC 2023 Final, Ind vs Aus: अंजिक्या रहाणे के लिए डब्ल्यूटीसी फाइनल में करो या मरो जैसी होगी स्थिति
भारत के मध्यक्रम के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे 18 महीने के लंबे इंतजार के बाद भारत की तरफ से अपना पहला टेस्ट मैच खेलने के लिए तैयार हैं और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सात जून से शुरू होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल में उनके लिए करो या मरो जैसी स्थिति हो सकती है।
लंदन, चार जून भारत के मध्यक्रम के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे 18 महीने के लंबे इंतजार के बाद भारत की तरफ से अपना पहला टेस्ट मैच खेलने के लिए तैयार हैं और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सात जून से शुरू होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल में उनके लिए करो या मरो जैसी स्थिति हो सकती है. टी20 प्रारूप से पांच दिवसीय प्रारूप में ढल रहे रहाणे चीजों को सरल बनाए रखना चाहते हैं और उन्हें उम्मीद होगी कि जिस शानदार टाइमिंग से उन्होंने आईपीएल में रन बनाए, वह लंदन में भी उनके साथ बनी रहेगी. यह भी पढ़ें: डेविड वॉर्नर के लिए घातक साबित हो सकता है टीम इंडिया का ये धुरंधर गेंदबाज, जानें कैसा हैं रिकॉर्ड
रहाणे का भारत के अंतिम एकादश में जगह बनाना लगभग तय है. रहाणे और चेतेश्वर पुजारा को 2022 के शुरू में दक्षिण अफ्रीका से श्रृंखला गंवाने के बाद बाहर कर दिया गया था. पुजारा ने काउंटी क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करके पहले ही राष्ट्रीय टीम में वापसी कर दी थी. अब तक 82 टेस्ट मैच खेल चुके रहाणे को राष्ट्रीय टीम में वापसी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. उन्होंने रणजी ट्रॉफी और हाल में आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करके राष्ट्रीय टीम में वापसी की.
लेकिन यदि श्रेयस अय्यर चोटिल नहीं होते तो फिर रहाणे के लिए वापसी करना मुश्किल होता. अय्यर मध्यक्रम में खुद को साबित कर चुके हैं और ऐसे में रहाणे जब ओवल में क्रीज पर उतरेंगे तो उनके लिए करो या मरो जैसी स्थिति होगी. रहाणे को आगे की श्रृंखलाओं के लिए टीम में अपना स्थान पक्का करने के लिए हर हाल में अच्छा प्रदर्शन करना होगा.
रहाणे की कप्तानी में भारत ने 2021 में ऑस्ट्रेलिया को उसकी धरती पर हराया था. तब उन्होंने अपने खेत और नेतृत्व कौशल से काफी प्रभावित किया था. ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ रहाणे अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं. यह अलग बात है कि उनके प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव रहा है जिसके कारण उनका टेस्ट औसत 38.52 है.
डब्ल्यूटीसी फाइनल में रहाणे पर कप्तानी का दबाव नहीं होगा और ऐसे में उनका ध्यान बल्लेबाजी पर ही केंद्रित रहेगा. वह अपने बल्ले से आलोचकों को करारा जवाब देना चाहेंगे.
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