आतंकी समूह, एनजीओ की जांच, उत्पीड़ित हिंदुओं, सिखों को नागरिकता जैसे मुद्दे 2022 में गृह मंत्रालय के एजेंडे में रहे

आतंकवादी समूहों की हिंसा से निपटना, कुछ गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की गतिविधियों पर करीबी निगरानी और पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की समस्याओं को दूर करने के प्रयास कुछ ऐसे प्रमुख मुद्दे थे जो 2022 में गृह मंत्रालय (एमएचए) के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल रहे. मंत्रालय ने आपराधिक कानूनों, विशेष रूप से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 में संशोधनों के लिए प्रक्रिया भी शुरू की.

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नयी दिल्ली, 29 दिसंबर : आतंकवादी समूहों की हिंसा से निपटना, कुछ गैर सरकारी संगठनों (NGO) की गतिविधियों पर करीबी निगरानी और पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की समस्याओं को दूर करने के प्रयास कुछ ऐसे प्रमुख मुद्दे थे जो 2022 में गृह मंत्रालय (एमएचए) के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल रहे. मंत्रालय ने आपराधिक कानूनों, विशेष रूप से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 में संशोधनों के लिए प्रक्रिया भी शुरू की. गृह मंत्रालय ने देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले कुछ चीनी मोबाइल एप्लिकेशन के खिलाफ कार्रवाई भी की. वर्ष 2022 में गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों में से एक ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) और उसके कई सहयोगियों को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित घोषित करना था. उन पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने और आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ ‘‘संपर्क’’ बनाए रखने का आरोप लगाया.

ऐसी खबरें थीं कि पीएफआई ने कथित तौर पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और विदेशी पर्यटकों, विशेष रूप से यहूदियों पर हमला करने की साजिश रची थी. गृह मंत्रालय ने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के षडयंत्रकर्ता एवं लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद के बेटे हाफिज तल्हा सईद सहित 12 से अधिक व्यक्तियों को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने में उनकी निरंतर भूमिका के लिए आतंकी घोषित किया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा था कि कुछ देश बार-बार आतंकवादियों का समर्थन करते हैं और उनके खिलाफ ‘‘सख्त वित्तीय कार्रवाई’’ शुरू की जानी चाहिए. शाह ने नई दिल्ली में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय बैठक ‘‘नो मनी फॉर टेरर मिनिस्ट्रियल कॉन्फ्रेंस’’ में यह बात कही थी. यह भी पढ़ें : सुरक्षा कवर को लेकर केंद्र और भाजपा को गांधी परिवार को निशाना नहीं बनाना चाहिए : पटोले

गृह मंत्री ने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में 42,000 लोगों ने आतंकवाद के कारण अपनी जान गंवाई, लेकिन सुरक्षा स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है कि अब कोई भी केंद्र शासित प्रदेश में हड़ताल या पथराव करने की हिम्मत नहीं करता है. उन्होंने कहा था, ‘‘स्थिति पर सुरक्षा बलों का पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए आतंकवाद के प्रति कतई न सहन करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनाई गई है.’’ शाह ने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ गैर सरकारी संगठन देश की आर्थिक प्रगति को रोकने के लिए धर्मांतरण, राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और धन के दुरुपयोग में लिप्त हैं और ऐसी संस्थाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है. कुछ एनजीओ पर कार्रवाई के तहत, गृह मंत्रालय ने दो एनजीओ राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) को दिए गए विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के लाइसेंस रद्द कर दिए थे. सरकार ने आरोप लगाया था कि आरजीएफ को चीनी दूतावास के साथ-साथ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख जाकिर नाइक से धन प्राप्त हुआ था.

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वालों को राहत देते हुए गृह मंत्रालय ने 31 जिलों के जिलाधिकारियों और नौ राज्यों के गृह सचिवों को इन देशों से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत भारतीय नागरिकता देने का अधिकार दिया. अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिन्दुओं, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाईयों को विवादित नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 के स्थान पर नागरिकता कानून, 1955 के तहत भारत की नागरिकता देने के अलग मायने हैं. नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 (सीएए) में भी अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.

लेकिन, सीएए के तहत अभी तक सरकार द्वारा नियम नहीं बनाए गए हैं, इसलिए अभी तक इस कानून के तहत किसी विदेशी को भारत की नागरिकता नहीं दी गई है. सितंबर में बिहार के किशनगंज में एक बैठक में गृह मंत्री ने कहा था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रहा जनसांख्यिकीय परिवर्तन "बहुत चिंताजनक" हैं और सुरक्षा बलों को सतर्क रहना चाहिए. गृह मंत्री शाह ने आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन के प्रस्तावित कदम पर सांसदों और अन्य हितधारकों से सुझाव भी मांगे थे. शाह ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के अपने मंत्र के साथ भारत के सभी नागरिकों, खासकर कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोगों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

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