भारतीय मूल के चिकित्सक ने कोविड-19 अस्पताल में मुश्किल शिफ्ट के बारे में अपना दर्द बयां किया

कैम्ब्रिजशायर में स्थित रॉयल पापवर्थ अस्पताल के डा. चिन्मय पटवर्धन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के तहत काम करने वाले दुनियाभर के सहकर्मियों की कड़ी मेहनत की प्रशंसा भी की।

लंदन, 16 अप्रैल कोरोना वायरस महामारी के दौरान इंग्लैंड के पूर्वी क्षेत्र में एक अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) के भीतर नियमित पाली में काम करने वाले भारतीय मूल के एक चिकित्सक ने कहा है कि वह और उनकी टीम कई बार ‘‘असहाय’’ सा महसूस करती है, लेकिन उनके पास ‘‘शांत रहने और काम जारी रखने’’ के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।

कैम्ब्रिजशायर में स्थित रॉयल पापवर्थ अस्पताल के डा. चिन्मय पटवर्धन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के तहत काम करने वाले दुनियाभर के सहकर्मियों की कड़ी मेहनत की प्रशंसा भी की।

पटवर्धन ने ‘द सन’ में लिखा, ‘‘“गहन देखभाल की आवश्यकता वाले मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण दवाओं और उपकरणों की सामान्य से बहुत अधिक मांग है। यह कठिन है क्योंकि कोरोना वायरस इस तरह की नई बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है और कोई जादू की गोली भी नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘समय-समय पर मैं असहाय सा महसूस करता हूं, लेकिन मुझे पाली में काम कर रहे जूनियर डॉक्टरों पर गर्व है। वे दुनियाभर से आते हैं और आईसीयू में काम करने वाले चिकित्सक हैं, चाहे उनकी जो विशेषता है।’’

चिकित्सक ने सभी नर्सों की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘‘बुनियादी नर्सिंग देखभाल के किसी भी पहलू से समझौता नहीं किया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह आसान काम नहीं है, लेकिन इस समय एक इकाई के रूप में काम करना शानदार अनुभव है और हम सभी एक साथ हैं। साढ़े 12 घंटे की एक व्यस्त पाली के बाद मैं थक गया हूं, लेकिन अभी भी हंस रहा हूं।’’

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