भारतीय नौसेना युद्धक क्षमता को बढ़ा़ने के वास्ते मिसाइल विध्वंसक, पनडुब्बी को शामिल करेगी
भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रमण के मद्देनजर तेजी से बदलते सुरक्षा माहौल से निपटने में अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए अगले सप्ताह तक एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी को शामिल करेगी.
नयी दिल्ली, 16 नवंबर : भारतीय नौसेना (Indian Navy) हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रमण के मद्देनजर तेजी से बदलते सुरक्षा माहौल से निपटने में अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए अगले सप्ताह तक एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक और कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी को शामिल करेगी. नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल सतीश नामदेव घोरमडे ने कहा कि युद्धपोत ‘विशाखापत्तनम’ को 21 नवंबर को बल में शामिल किया जाएगा जबकि पनडुब्बी ‘वेला’ को 25 नवंबर को शामिल किया जाएगा. नौसेना के कमांडर ने कहा कि वर्तमान में विभिन्न भारतीय पोत कारखानों (शिपयार्ड) में 39 नौसैनिक जहाजों और पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है, जिनसे भारत की समुद्री क्षमता को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि समुद्री वातावरण जटिल होता है और यह केवल अधिक संख्या में अत्याधुनिक उपकरणों के शामिल होने से बढ़ता है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब शक्ति का वैश्विक और क्षेत्रीय संतुलन तेजी से बदल रहा है और सबसे तेजी से बदलाव का क्षेत्र निस्संदेह हिंद महासागर क्षेत्र है.’’ वाइस एडमिरल घोरमडे ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं कि उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए बल का स्तर तेजी से बढ़ता रहे.
युद्धपोत ‘विशाखापत्तनम’ को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शामिल किया जाएगा जबकि ‘वेला’ को शामिल किये जाने के मौके पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह होंगे. यह भी पढ़ें : देश की खबरें | ठाकरे अंशकालिक मुख्यमंत्री; फिर से चुनाव कराए जाएं: भाजपा ने एमवीए सरकार से कहा
‘वेला’ कलवरी श्रेणी की चौथी पनडुब्बी है. ये दोनों मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में बनाए गए हैं. इन्हें बल में शामिल किये जाने संबंधी कार्यक्रम मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में होंगे. वाइस एडमिरल ने कहा, ‘‘विशाखापत्तनम के शामिल होने से उन्नत युद्धपोतों के डिजाइन और निर्माण की क्षमता वाले राष्ट्रों के एक विशिष्ट समूह के बीच भारत की मौजूदगी की पुष्टि होगी.’’