देश की खबरें | भारत, आसियान शिखर वार्ताओं में समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर देंगे बल

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को जकार्ता में एक शिखर बैठक में 10 देशों के समूह ‘आसियान’ के साथ भारत के संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।

नयी दिल्ली, पांच सितंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को जकार्ता में एक शिखर बैठक में 10 देशों के समूह ‘आसियान’ के साथ भारत के संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेंगे।

समूह के नेताओं के साथ मोदी की बातचीत में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ भारत के व्यापार एवं सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है।

आसियान-भारत शिखर सम्मेलन पिछले साल दोनों पक्षों के बीच संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने के बाद पहला शिखर सम्मेलन होगा।

मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दोनों पक्ष समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए एक नई पहल की शुरुआत कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे जो आसियान-भारत शिखर सम्मेलन की समाप्ति के तुरंत बाद होगा।

सचिव (पूर्व) सौरभ कुमार ने बताया कि मोदी बुधवार शाम को इंडोनेशिया की राजधानी के लिए रवाना होंगे और बृहस्पतिवार देर रात लौटेंगे।

कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री की जकार्ता की यह संक्षिप्त यात्रा होगी क्योंकि उन्हें जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए स्वदेश लौटना है।

आसियान के सदस्य देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया हैं।

भारत और आसियान के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण रूप से मजबूत हुए हैं, जिसमें व्यापार और निवेश के साथ-साथ सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

आसियान को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है। भारत और अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं।

आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुआ, जो दिसंबर 1995 में पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में शिखर स्तर की साझेदारी में बदल गया।

भारत और आसियान के बीच संबंध 2012 में रणनीतिक साझेदारी तक पहुंच गए। आसियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति और व्यापक हिंद-प्रशांत के लिए इसके दृष्टिकोण का केंद्र है।

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