देश की खबरें | भारत ने 2021 में जलवायु परिवर्तन को अपनी पर्यावरण नीतियों के केंद्र में रखा
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नयी दिल्ली, 28 दिसंबर जलवायु परिवर्तन को अपनी पर्यावरण नीतियों के केंद्र में रखते हुए, भारत ने 2021 में महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन सीओपी 26 में कहा कि यह एकमात्र ऐसा देश है जो पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए ‘ उसकी भावना’ के तहत ‘अक्षरश:’ कार्य कर रहा है।
भारत 500 गीगावाट गैर जीवाश्म ईंधन क्षमता 2030 तक हासिल करेगा। भारत 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करेगा। भारत 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करेगा।
ब्रिटेन के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र सीओपी-26 के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि भारत वर्ष 2070 में कुल शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करेगा।
मोदी ने कहा था, ‘‘भारत 500 गीगावाट गैर जीवाश्म ईंधन क्षमता 2030 तक हासिल करेगा। भारत 2030 तक अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करेगा। भारत अब से 2030 के बीच अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कटौती करेगा। भारत कार्बन की गहनता में 45 प्रतिशत तक कटौती करेगा और 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करेगा।’’
मोदी ने दोहराया था कि विकसित देशों को जलवायु वित्तपोषण के लिए एक हजार अरब डॉलर देने के अपने वादे को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसकी निगरानी उसी तरह की जानी चाहिए जैसा जलवायु शमन की होती है।
भारत ने सम्मेलन में 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' (ओएसओडब्ल्यूओजी) की भी शुरुआत की थी जिसका उद्देश्य जहां भी सूरज चमक रहा हो, वहां सौर ऊर्जा का दोहन करना है और यह सुनिश्चित करना कि उत्पन्न बिजली उन क्षेत्रों में प्रवाहित हो, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
भारत ने नेपल्स में आयोजित 16वें जी20 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए उत्सर्जन में कमी के मुद्दे पर भी जोर दिया, जहां उसने जी20 देशों 2030 तक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को वैश्विक औसत पर लाने का आग्रह किया।
भूपेंद्र यादव ने जुलाई में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था और उन्होंने ग्लासगो में जलवायु शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। उन्होंने ‘पीटीआई-’ से बातचीत में कहा था कि भारत ने सफलतापूर्वक विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व किया और एक मजबूत पक्ष सामने रखा।
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