जरुरी जानकारी | भारत जलवायु लक्ष्यों के लिए ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकता : अधिकारी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. भारत केवल जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही।
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर भारत केवल जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही।
वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा और 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ ऊर्जा बदलाव पर भारत के ध्यान केंद्रित करने के बीच इस बयान के काफी मायने हैं।
इस साल सितंबर में भारत की बिजली मांग 243.27 गीगावाट के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गई। भारत ने करीब 426 गीगावॉट की बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित की है। इसमें 213 गीगावाट से अधिक का उत्पादन कोयला तथा लिग्नाइट से किया जाता है।
ऊर्जा मंत्रालय के विशेष सचिव एवं वित्तीय सलाहकार आशीष उपाध्याय ने सीआईआई साउथ एशिया पावर समिट में कहा, ‘‘ हम ऊर्जा सुरक्षा के साथ केवल इसलिए समझौता नहीं कर सकते क्योंकि हमें जलवायु लक्ष्य हासिल करना है।’’
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भारत के अलावा भूटान, बांग्लादेश और नेपाल भी हिस्सा ले रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास ताप (कोयला आधारित) बिजली का विशाल भंडार है। निश्चित रूप से उन सभी के प्रति उचित सम्मान के साथ जो जलवायु परिवर्तन संरक्षण तथा शुद्ध शून्य उत्सर्जन के बारे में बात कर रहे हैं... हम उसके लिए सर्वोच्च सम्मान रखते हैं और इसके लिए काफी काम कर रहे हैं। हालांकि, हमारे लिए ऊर्जा सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है।’’
उपाध्याय ने कहा कि इस साल देश में 240 गीगावाट से अधिक की रिकॉर्ड बिजली की मांग देखी गई और ‘‘अब अगर हम भविष्य की ओर देखें तो (बिजली उत्पादन) क्षमताओं की बेहद जरूरत है।’’
उन्होंने चारों देशों के बीच सहयोग पर कहा कि इन देशों के लोगों की आकांक्षाओं में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। चारों देशों ने आठ प्रतिशत तक की उच्च आर्थिक वृद्धि दर का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं क्योंकि हमारे पास सामान्य ग्रिड है जो किसी भी मात्रा में ऊर्जा को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित कर सकता है।’’
उपाध्याय ने कहा कि इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधन हैं, देशों से गुजरने वाली नदियां हैं जिनका दोहन किया जा सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक व्यवधानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्र को अपना बाजार बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और ‘‘ हमारे समाज को भविष्य के व्यवधानों से बचाना चाहिए।’’
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