विदेश की खबरें | सैन्य क्षमता विस्तार पर पेंटागन की रिपोर्ट के जवाब में चीन ने कहा- अमेरिका शांति में बाधक है

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. पेंटागन ने चीन की सैन्य क्षमता विस्तार पर एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार की है जिसे कांग्रेस में पेश किया जाना आवश्यक है। चीन को अमेरिकी सरकार एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने लिए प्रमुख खतरे और अमेरिका की प्राथमिक दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौती के रूप में देखती है।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

पेंटागन ने चीन की सैन्य क्षमता विस्तार पर एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार की है जिसे कांग्रेस में पेश किया जाना आवश्यक है। चीन को अमेरिकी सरकार एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने लिए प्रमुख खतरे और अमेरिका की प्राथमिक दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौती के रूप में देखती है।

चीन के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पेंटागन रिपोर्ट के निष्कर्षों को गलत बताया और इसका इस्तेमाल इजराइल एवं यूक्रेन की मदद करने में अमेरिका की हालिया कार्रवाइयों के साथ-साथ दुनिया भर में सैन्य प्रतिष्ठानों के निर्माण पर पलटवार करने के लिए किया।

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने कहा, ‘‘अमेरिका ने यूक्रेन को कमजोर यूरेनियम युद्ध सामग्री और क्लस्टर बम भेजे हैं, भूमध्य सागर में अपने युद्ध जहाज भेजे हैं और इजराइल को हथियार और युद्ध सामग्री भेजी है, क्या यह तथाकथित सिद्धांत है जिसे ‘मानवाधिकार के रक्षक क्षेत्र में ला रहे हैं?’’

पेंटागन की रिपोर्ट पिछले साल की एक चेतावनी पर आधारित है जिसमें कहा गया था कि चीन अपनी सेना के सामान्य निर्माण के अनुरूप, अपनी परमाणु शक्ति का तेजी से विस्तार कर रहा है। पहले की चेतावनी में कहा गया था कि बीजिंग 2035 तक अपने पास मौजूद हथियारों की संख्या को लगभग चार गुना बढ़ाकर 1,500 करने की राह पर है।

नवंबर में राष्ट्रपति जो बाइडन और शी चिनफिंग के बीच संभावित मुलाकात से पहले चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी बृहस्पतिवार को अमेरिका का दौरा करेंगे। 2018 के बाद से अमेरिका-चीन संबंध खराब हो गए हैं, शुरुआत में रिश्तों में दरार व्यापार विवाद के कारण आयी, लेकिन बाद में यह कोविड महामारी, शिनजियांग और ताइवान में चीन की कार्रवाइयों के कारण और बढ़ गयी।

चीन ने भी अपनी जवाबी प्रतिक्रिया में ताइवान से निपटने की कार्रवाई सुनिश्चित की। पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन स्व-शासित द्वीप की ओर सैन्य, राजनयिक और आर्थिक दबाव बढ़ा रहा है।

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