देश की खबरें | चंदौसी में प्राचीन बावड़ी का अतिक्रमण कर बनाये गये मकान का कुछ हिस्सा उसके मालिक ने गिराया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. संभल जिले के चंदौसी में नगर पालिका परिषद ने प्राचीन बावड़ी के अवशेषों पर से अतिक्रमण को हटाने का नोटिस दिया था जिसके बाद ऐसा करने वाले व्यक्ति ने कल रात मकान का कुछ हिस्सा गिरा दिया। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

संभल (उप्र), 11 जनवरी संभल जिले के चंदौसी में नगर पालिका परिषद ने प्राचीन बावड़ी के अवशेषों पर से अतिक्रमण को हटाने का नोटिस दिया था जिसके बाद ऐसा करने वाले व्यक्ति ने कल रात मकान का कुछ हिस्सा गिरा दिया। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

चंदौसी नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने शनिवार को बताया कि खुदाई के दौरान पता चला कि बावड़ी के अवशेष मकान से बिल्कुल सटे हैं।

उन्होंने कहा कि लक्ष्मण गंज निवासी गुलनाज (यूसुफ सैफी की पत्नी) को नोटिस दिया गया और वे खुद ही इसे गिरा रहे हैं।

उन्होंने कहा, "उन्हें नोटिस दिया गया था और वे खुद ही इसे तोड़ रहे हैं। अगर हम जेसीबी से इसे तोड़ते तो ज्यादा नुकसान होता, इसलिए वे खुद ही अपना अतिक्रमण हटा रहे हैं। कल वे लोग भी परेशान हो रहे थे, इसलिए जिलाधिकारी ने उन्हें समझाया कि वे सिर्फ उतना हटायें जो ढांचे (बावड़ी) का हिस्सा है, बाकी को छोड़ दिया जाएगा।"

गुलनाज ने रोते हुए कहा, "मेरा घर जा रहा है, इसलिए मैं रो रही हूं। मुझे 24 घंटे के अंदर घर खाली करने का नोटिस दिया गया है। मैंने जिलाधिकारी से बात की थी। उन्होंने कहा था कि जमीन बेचने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कराएं।"

कल रात (शुक्रवार) प्राचीन बावड़ी का निरीक्षण करने पहुंचे जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने पत्रकारों को बताया कि बावड़ी के अंदर कुछ दरारें पाई गई हैं, उसमें काफी मलबा भरा हुआ है, वजन ज्यादा है, भविष्य में बारिश की संभावना को देखते हुए उसके ऊपर शेड बनाया जाएगा।

पेंसिया के अनुसार पूरी जमीन को चिह्नित कर उसके दायरे में आने वाले अतिक्रमण को भी हटाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जलाशय और बावड़ी संरक्षित क्षेत्र है और ऐसे स्थानों पर किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता।

संभल जिले के चंदौसी के लक्ष्मण गंज इलाके में खुदाई के दौरान करीब 125 से 150 साल पुरानी और 400 वर्ग मीटर में फैली बावड़ी मिली है।

सोनकर ने बताया कि 21 दिसंबर को इस स्थल पर खुदाई शुरू हुई थी।

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, इस बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल में हुआ था।

जिलाधिकारी के मुताबिक यह स्थल पहले तालाब के रूप में पंजीकृत था। कुएं की ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है, जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल संगमरमर की है। इस संरचना में चार कमरे और एक कुआं भी है।

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