जरुरी जानकारी | आवक घटने से सरसों, सोयाबीन तेल और बिनौला में सुधार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशी बाजारों में मामूली घट-बढ़ के बीच देश की मंडियों में आवक घटने के कारण बुधवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ। वहीं साधारण कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के थोक भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
नयी दिल्ली, पांच जून विदेशी बाजारों में मामूली घट-बढ़ के बीच देश की मंडियों में आवक घटने के कारण बुधवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ। वहीं साधारण कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के थोक भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में मामूली घट-बढ़ रही।
बाजार सूत्रों ने कहा कि आज मंडियों में सरसों की आवक मंगलवार के साढ़े छह लाख बोरी से घटकर लगभग छह लाख बोरी रह गई। इसी प्रकार सोयाबीन तिलहन की आवक एक दिन पहले के लगभग ढाई लाख बोरी से घटकर लगभग 2.20 लाख बोरी रह गई। इसी प्रकार कपास (जिससे बिनौला निकाला जाता है) की आवक भी घटी है।
सूत्रों ने भारतीय कपास संघ के आंकड़ों के हवाले से कहा कि फसल वर्ष 2023-24 में देश में कपास उत्पादन 309.7 लाख गांठ (एक गांठ - लगभग 170 किलोग्राम) का हुआ और इसमें से अबतक मंडियों में लगभग 292 लाख गांठ की आवक हो चुकी है। यानी किसानों के पास लगभग 17 लाख गांठ (उत्पादन का लगभग छह प्रतिशत) कपास रह गया है और अगली फसल अब सितंबर-अक्टूबर के बाद आने की संभावना है। उन्होंने जानना चाहा कि क्या मात्र छह प्रतिशत के स्टॉक से अगली फसल से पहले की जरूरतें पूरी हो जायेंगी?
उन्होंने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए देश की नयी सरकार के लिए बिनौले के नकली खल के कारोबार पर अंकुश लगाना पहली शर्त होना चाहिये। नकली खल कपास उत्पादन को प्रभावित कर रहा है क्योंकि किसान असली खल के ऊंचे दाम होने के कारण नकली खल के सस्ते दाम से मुकाबला नहीं कर पा रहा और उनको कपास फसल में बिनौले से जो अतिरिक्त लाभ मिलता है, उससे वे वंचित रह जा रहे हैं। इससे कपास खेती में उनकी दिलचस्पी प्रभावित होती है।
सूत्रों ने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाले खल की मांग निकलने के कारण हरियाणा के कैथल में बिनौला खल आज 3,800 रुपये क्विंटल बिका है। जबकि सामान्य तौर पर इसकी कीमत 3,300-3,400 रुपये क्विंटल होती है। वहीं बाजार में बिकने वाले नकली खल का दाम 2,600-2,700 रुपये क्विंटल है। कपास उत्पादन बढ़ाने तथा मवेशियों के आहार की भारी जरूरत को पूरा करने के लिए नकली बिनौला खल पर अंकुश लगाने की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बढ़िया खल की कमी और दाम अधिक होने से दूध के दाम भी बढ़ रहे हैं।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,925-5,985 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,125-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,220-2,520 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 11,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,860-1,960 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,860-1,985 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,900 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,900 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,715-4,735 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,515-4,635 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
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