देश की खबरें | गृह मंत्रालय ने राज्यों से कारागारों में भीड़ कम करने के लिए कदम उठाने को कहा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. केंद्र ने सभी राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि निर्दिष्ट अधिकतम कारावास की अवधि का आधा हिस्सा जेल में काट चुके उन अपराधों के लिए गिरफ्तार विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए जिनके लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा निर्दिष्ट नहीं की गई है ताकि कारागारों में भीड़ कम हो सके।

नयी दिल्ली, आठ जनवरी केंद्र ने सभी राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि निर्दिष्ट अधिकतम कारावास की अवधि का आधा हिस्सा जेल में काट चुके उन अपराधों के लिए गिरफ्तार विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए जिनके लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा निर्दिष्ट नहीं की गई है ताकि कारागारों में भीड़ कम हो सके।

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और जेल महानिदेशकों को भेजे पत्र में कहा कि जेल प्राधिकारियों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) की धारा 479 के प्रावधानों के तहत ऐसे पात्र कैदियों की रिहाई के लिए संबंधित अदालत से संपर्क करना चाहिए।

बीएनएसएस की धारा 479 में कहा गया है कि यदि किसी कैदी के लिए उस अपराध के लिए निर्दिष्ट कारावास की अधिकतम अवधि का आधा समय जेल में काट लिया है जिसके लिए उसे जांच, पूछताछ या सुनवाई की अवधि के दौरान जेल में रखा गया है, तो उसे रिहा किया जाना चाहिए, बशर्ते कि यह ऐसा अपराध न हो जिसके लिए कानून के तहत मृत्यु या आजीवन कारावास की सजा निर्दिष्ट की गई हो।

पत्र में कहा गया है, ‘‘पहली बार अपराध करने वाले ऐसे कैदियों को अदालत द्वारा मुचलके पर रिहा किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए कारावास की अधिकतम अवधि का एक तिहाई हिस्सा जेल में काट चुके हैं। इसके अलावा, बीएनएसएस की धारा 479 (3) जेल अधीक्षक पर एक विशिष्ट जिम्मेदारी डालती है कि वह उपरोक्त विचाराधीन कैदियों को जमानत/मुचलके पर रिहा करने के लिए संबंधित अदालत में आवेदन करे।’’

मंत्रालय ने कहा कि उसने 16 अक्टूबर, 2024 को इस मुद्दे पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया था और उनसे अनुरोध किया था कि वे सभी पात्र कैदियों को बीएनएसएस की धारा 479 के प्रावधानों का लाभ प्रदान करें और तदनुसार अदालत में उनकी जमानत याचिका दायर करें।

इसमें कहा गया है कि संविधान दिवस यानी 26 नवंबर, 2024 के अवसर पर गृह मंत्रालय ने एक विशेष अभियान शुरू किया था, जिसके तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया था कि वे बीएनएसएस की धारा 479 के प्रावधानों के तहत पात्र कैदियों की पहचान करें और जमानत/मुचलके पर उनकी रिहाई के लिए संबंधित अदालतों में उनके आवेदन पेश करें।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी भेजा था। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस अभ्यास में सक्रिय रूप से भाग लिया था और 26 नवंबर, 2024 तक बीएनएसएस की धारा 479 के प्रावधानों से लाभान्वित होने वाले कैदियों की संख्या का विवरण प्रस्तुत किया था।

मंत्रालय ने राज्यों से कहा कि यह एक बार की जाने वाली प्रक्रिया नहीं है और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को बीएनएसएस की धारा 479 के प्रावधानों का सभी पात्र कैदियों को निरंतर आधार पर लाभ प्रदान करने की आवश्यकता है।

पत्र में कहा गया है, ‘‘राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध है कि वे संलग्न प्रपत्र में 27 नवंबर, 2024 से 31 दिसंबर, 2024 तक की अवधि के लिए तत्काल आधार पर विवरण उपलब्ध कराएं, जिसके बाद एक जनवरी, 2025 से मंत्रालय को मासिक आधार पर रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए।’’

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