देश की खबरें | बलात्कार मामले में एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की सजा बरकरार, हत्या के प्रयास के अपराध से मुक्त

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति द्वारा यौन गतिविधि किया जाना हत्या के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने नाबालिग सौतेली बेटी से बलात्कार के दोषी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखते हुए उसे पीड़िता की हत्या के प्रयास के अपराध से मुक्त कर दिया।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, आठ नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति द्वारा यौन गतिविधि किया जाना हत्या के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने नाबालिग सौतेली बेटी से बलात्कार के दोषी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखते हुए उसे पीड़िता की हत्या के प्रयास के अपराध से मुक्त कर दिया।

इससे पहले निचली अदालत ने कहा था कि आरोपी का कृत्य हत्या के प्रयास के समान है क्योंकि वह जानताा था कि एचआईवी से संक्रमित होने के चलते उसके द्वारा किए गए अपराध से संक्रमण फैल सकता है, जिससे जानलेवा बीमारी हो सकती है।

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हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि पीड़िता को जान से मारने की कोई मंशा नहीं थी। अदालत ने कहा कि आरोप पत्र के साथ-साथ ऐसी कोई भी सामग्री नहीं है, जिससे यह सिद्ध किया जा सके कि पीड़िता एड्स की चपेट में आ गई थी या एचआईवी संक्रमित हो गई थी। यहां तक कि उसकी एचआईवी जांच के नतीजों में भी संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई।

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के निष्कर्ष से सहमति नहीं जतायी।

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न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने कहा कि उच्च न्यायालय निचली अदालत के इस विचार से सहमत नहीं है कि अपीलकर्ता व्यक्ति हत्या के प्रयास का दोषी है।

उच्च न्यायालय ने 2015 में नाबालिग सौतेली बेटी के साथ बलात्कार के मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिये जा चुके व्यक्ति की अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणियां कीं।

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