जरुरी जानकारी | फास्टैग में जमा राशि पर ब्याज के भुगतान की याचिका पर उच्च न्यायालय ने केंद्र से जवाब मांगा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने फास्टैग और कार्ड में आवश्यक न्यूनतम शेष राशि पर ब्याज भुगतान की अपील करने वाली याचिका पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और केंद्र से जवाब मांगा है। याचिका में फास्टैग में जमा राशि पर बैंकों को ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया जाए।
नयी दिल्ली, 18 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने फास्टैग और कार्ड में आवश्यक न्यूनतम शेष राशि पर ब्याज भुगतान की अपील करने वाली याचिका पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और केंद्र से जवाब मांगा है। याचिका में फास्टैग में जमा राशि पर बैंकों को ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एनएचएआई और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि फास्टैग जारी करने के साथ हजारों करोड़ रुपये यात्रियों, एनएचएआई या सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को लाभ दिए बिना बैंकिंग प्रणाली में शामिल हो गए हैं।
अदालत ने इस संबंध में जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है और मामले को अगली सुनवाई के लिए 10 अगस्त को सूचीबद्ध किया है।
आवेदन एक लंबित याचिका में दायर किया गया था, जिसमें बिना फास्टैग वाले वाहनों को टोल टैक्स का दोगुना भुगतान करने के लिए मजबूर करने वाले नियम को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि यह नियम भेदभावपूर्ण, मनमाना और जनहित के खिलाफ है क्योंकि यह एनएचएआई को नकद भुगतान करने पर दोगुनी दर से टोल वसूलने का अधिकार देता है।
याचिकाकर्ता रविंद्र त्यागी की ओर से पेश अधिवक्ता प्रवीन अग्रवाल ने आवेदन में कहा कि फास्टैग सेवा आने के बाद 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बैंकिंग प्रणाली में शामिल हो गई है।
याचिका में कहा गया है कि अगर इस आंकड़े पर 8.25 प्रतिशत सालाना की सावधि जमा (एफडी) दर लागू की जाती है, तो एनएचएआई या सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को हर साल 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ होगा।
याचिका में कहा गया, “वर्तमान में इस धन का उपयोग बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा नि:शुल्क किया जा रहा है। इस राशि पर ब्याज या तो एनएचएआई/सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय या यात्रियों का है और इसका उपयोग सड़क/राजमार्ग/यात्रियों के भले के लिए होना चाहिए।”
याचिका में फास्टैग के ब्याज से मिली राशि के लिए प्रशासन को ‘यात्री कल्याण कोष’ के नाम से एक अलग कोष तैयार करने का निर्देश देने की भी अपील की गई है।
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