जरुरी जानकारी | उच्च न्यायालय का दिल्ली सरकार की नयी आबकारी नीति पर रोक लगाने से इनकार, सरकार से जवाब देने को कहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। खुदरा दुकान मालिकों ने यह कहते हुए नीति के खिलाफ याचिका दायर की है कि इससे बाजार में इकाइयों के बीच गुटबंदी (कार्टेल) को बढ़ावा मिलेगा।
नयी दिल्ली, 12 जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। खुदरा दुकान मालिकों ने यह कहते हुए नीति के खिलाफ याचिका दायर की है कि इससे बाजार में इकाइयों के बीच गुटबंदी (कार्टेल) को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए अधिकारियों से इसका जवाब देने को कहा।
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए थे।
पीठ ने कहा, "श्रीमान (मुकुल) रोहतगी हम आज वह (रोक लगाने का) आदेश पारित नहीं कर रहे हैं। हम इसे अगली तारीख पर देखेंगे। हम इस समय कोई अंतरिम राहत नहीं दे रहे हैं।'
अदालत ने मामले में अगली सुनवाई नौ अगस्त के लिए तय कर दी।
पीठ खुदरा शराब विक्रेताओं के एक समूह - रेडीमेड प्लाजा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि वे पिछले 15 वर्षों से दिल्ली में शराब की खुदरा बिक्री करते आए हैं।
रोहतगी ने कहा कि नयी आबकारी नीति के तहत दिल्ली को 32 जोन में बांट दिया जाएगा और एक व्यक्ति दो जोन के लिए निविदा दे सकता है। इस नीति से कुछ बड़ी इकाइयों का पूरी तरह से एकाधिकार हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि सभी छोटे खुदरा विक्रेताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है। दिल्ली सरकार बड़े लोगों के लिए पूरे कारोबार के एकाधिकार की व्यवस्था कर रही है। छोटे लोगों को पूरी तरह से बाहर रखा जा रहा है जिनके पास पिछले कई वर्षों से (शराब बेचने का) लाइसेंस है। गुटबंदी साफ दिख रही है।"
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी मामले में दिल्ली सरकार की पैरवी कर रहे थे।
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