नयी दिल्ली, 16 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन आयोग गठित करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।
सरकार के फैसले को इस आधार पर चुनौती दी गयी है कि इसने संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ को बताया कि उन्हें इस मामले में कुछ दस्तावेज रिकॉर्ड पर रखने हैं।
मेहता ने कहा कि उनकी संबंधित सचिव से बात हुई है, जो इस मुद्दे को देख रहे हैं।
पीठ ने उनकी दलीलों पर ध्यान देते हुए कहा कि दस्तावेज एक सप्ताह के भीतर दाखिल किए जाएं और कश्मीर के दो निवासियों की याचिका पर सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय कर दी।
शीर्ष अदालत ने 13 मई को कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती नहीं दी है और इसलिए इससे संबंधित दलीलों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।
इसने अपने आदेश में उल्लेख किया था कि चुनौती वास्तव में छह मार्च, 2020 और तीन मार्च, 2021 की अधिसूचनाओं सहित परिसीमन के संबंध में की गई कवायद को दी गयी थी।
शीर्ष अदालत ने प्रतिवादियों - केंद्र, जम्मू और कश्मीर प्रशासन और भारत के निर्वाचन आयोग को छह सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा था।
दो याचिकाकर्ताओं- हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि परिसीमन की कवायद संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन में की गई थी और सीमाओं में परिवर्तन तथा विस्तारित क्षेत्रों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए था।
जम्मू-कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में परिसीमन के लिए केंद्र द्वारा परिसीमन आयोग गठित करने को लेकर छह मार्च, 2020 की अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित करने की मांग याचिका में की गयी थी।
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