देश की खबरें | कोरोना एहतियात का पालन करते हुए दूरदराज के गांवों में टीका लगाने जा रहे स्वास्थ्य कर्मी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. जेब में सैनिटाइजर की बोतल और चेहरे पर मास्क लगाए 60 वर्षीय रामेश्वर प्रसाद नदियां पार करते हुए लंबी दूरी तय कर यह सुनिश्चित करते हैं कि बिहार के गया जिले में उन बच्चों को नियमित टीका लगता रहे जो कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन के चलते नहीं लग पाया था।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, आठ नवंबर जेब में सैनिटाइजर की बोतल और चेहरे पर मास्क लगाए 60 वर्षीय रामेश्वर प्रसाद नदियां पार करते हुए लंबी दूरी तय कर यह सुनिश्चित करते हैं कि बिहार के गया जिले में उन बच्चों को नियमित टीका लगता रहे जो कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन के चलते नहीं लग पाया था।

प्रसाद, टीका लगाने के लिए घर-घर जाते हैं और उन बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं की पहचान करते हैं जिन्हें टिटनस और डिफ्थीरिया जैसी बीमारियों के टीके नहीं लगे हैं।

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इसके अतिरिक्त वह यह भी सुनिश्चित करते हैं कि टीकाकरण समय पर हो।

देश भर में टीका लगाने वाले दो लाख लोगों के नेटवर्क में शामिल प्रसाद ने कहा, “अगर मैं नहीं जाऊंगा तो बहुत सारे बच्चों के साथ महिलाएं प्रभावित होंगी। इसलिए मैंने मास्क लगाकर और सारे एहतियात बरतते हुए यह काम जारी रखा। मैं नियमित हाथ धोता हूं और टीका वितरित करने के दौरान सामाजिक दूरी का ध्यान रखता हूं।”

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उन्होंने कहा कि गया जिले के भीतरी इलाकों में जाने के लिए वह साइकिल का सहारा लेते हैं, पैदल चलते हैं और कभी-कभी उन्हें नदियां भी पार करनी पड़ती हैं।

उन्होंने कहा, “जब मुझे बेंतनावधि गांव में जाना पड़ता है तो मैं अपनी साइकिल पास के गांव में रख देता हूं। इसके बाद मैं दो किलोमीटर पैदल चलकर वहां जाता हूं क्योंकि वहां जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। बरसात के मौसम में मुझे नदी पार करनी पड़ती है ताकि समय से टीका देने पहुंच सकूं।”

कर्नाटक के लिंगसुगुर तालुका में 26 वर्षीय नजीता बेगम सहायक नर्स (एएनएम) हैं और उन्हें गांवों तक पहुंचने के लिए दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है।

बेगम ने कहा, “गांव वाले हमसे पूछते हैं, ‘हमें बाहर निकलने से मना किया गया है, तो तुम क्यों चली आती हो? मुझे उन्हें बताना पड़ता है कि मैं यहां बच्चे को टीका लगाने या किसी गर्भवती महिला से मिलने आई हूं।”

ग्रामीण स्तर की स्वास्थ्य कर्मी ने कहा कि उन्होंने समय रहते उन सभी को टीका लगाया जिन्हें टीका नहीं लगा था।

बेगम और प्रसाद जैसे लोग टीका लगाने वाले अन्य लोगों की तरह ‘वैकल्पिक टीका डिलीवरी व्यवस्था’ (एवीडीएस) के तहत काम करते हैं जिससे गर्भवती महिलाओं और बच्चों को कोविड-19 के एहतियात बरतते हुए टीका लगाने का काम किया जाता है।

यह व्यवस्था सरकार, यूनिसेफ, स्थानीय ग्रामीण निकाय के सदस्यों, स्व-सहायता समूहों, युवाओं, कार्यकर्ताओं इत्यादि के सहयोग से चलाई जाती है।

टीका लगाने वाले कर्मी लोगों को नियमित टीकाकरण के बारे में जानकारी भी देते हैं और उन्हें बताते हैं कि उप स्वास्थ्य केंद्रों पर टीका लगवाने अवश्य जाएं।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण आवागमन में प्रतिबंधों के चलते टीकाकरण सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न हुआ था।

उन्होंने कहा, “हालांकि सरकार ने अप्रैल के मध्य में आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति के लिए दिशा निर्देश जारी किये जिसके बाद राज्यों ने एहतियात बरतते हुए टीकाकरण जारी रखने के लिए नियम बनाए। राज्यों ने भी नए विचारों पर काम करना शुरू किया और सेवाएं बहाल हुईं।”

वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में यूनिसेफ के एक प्रवक्ता ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान और बाद में जब सड़क से आवागमन प्रभावित था तब यह व्यवस्था काम कर रही थी और इसके जरिये टीका पहुंचाया जा रहा था।

उन्होंने कहा, “एवीडीएस स्थानीय जरूरतों पर आधारित है और स्थानीय सहायता तथा परिवहन के साधनों पर निर्भर है।”

प्रवक्ता ने कहा कि अप्रैल और मई में टीकाकरण में गिरावट देखी गई थी, हालांकि बाद के महीनों में इसमें सुधार हुआ।

उन्होंने कहा कि टीकाकरण केंद्रों पर लोग केवल इसलिए ही जाने से नहीं कतरा रहे थे कि उन्हें कोविड-19 संक्रमण होने का डर था। सार्वजनिक परिवहन के सीमित संसाधन, लॉकडाउन के नियम और सामाजिक दूरी के कारण भी लोग अपने बच्चों को टीका लगवाने स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं जा पा रहे थे।

प्रवक्ता ने कहा, “लेकिन भारत ने इस अभूतपूर्व चुनौती का तेजी से सामना किया और परिणाम अच्छे रहे। टीकाकरण सेवाओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई और यह महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच गई।”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जनवरी से अगस्त 2020 के बीच 1.2 करोड़ बच्चों को टीके लगाए गए।

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