देश की खबरें | हरियाणा सरकार ने एनसीआर में पटाखों की बिक्री एवं उपयोग पर प्रतिबंध लगाया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) समेत कई जिलों में नौ नवंबर की मध्यरात्रि से लेकर 30 नवंबर की मध्यरात्रि तक सभी तरह के पटाखों की बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के अनुपालन में यह प्रतिबंध लगाया है।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

चंडीगढ़, 11 नवंबर हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) समेत कई जिलों में नौ नवंबर की मध्यरात्रि से लेकर 30 नवंबर की मध्यरात्रि तक सभी तरह के पटाखों की बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के अनुपालन में यह प्रतिबंध लगाया है।

राज्य सरकार की ओर से बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, फतेहाबाद स्थित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस महीने वायु गुणवत्ता का स्तर ''गंभीर'' श्रेणी में दर्ज किया है।

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विज्ञप्ति के मुताबिक, '' इसी तरह, हिसार, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, धारुहेड़ा, कैथल, कुरुक्षेत्र और मानेसर में वायु गुणवत्ता का सूचकांक ''बहुत खराब'' की श्रेणी में है जबकि अंबाला, नारनौल, पलवल एवं सिरसा में यह ''खराब'' की श्रेणी में है इसलिए एनजीटी के आदेश के मुताबिक, फतेहाबाद समेत इन जिलों में भी पटाखों की बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।''

हालांकि, हरियाणा के अन्य जिलों में लोग दिवाली पर दो घंटे के लिए पटाखे जला सकते हैं।

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एनजीटी ने सोमवार को एनसीआर में नौ नवंबर मध्यरात्रि से लेकर 30 नवंबर को आधी रात तक सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया था।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रतिबंध देश के हर उस शहर और कस्बे पर लागू होगा, जहां नवंबर के महीने (पिछले साल के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार) में औसत वायु गुणवत्ता ‘खराब’ या उससे ऊपर की श्रेणियों में दर्ज की गई थी।

पीठ ने कहा था, ‘‘वैसे शहर या कस्बे जहां वायु गणवत्ता ‘मध्यम’ या उसके नीचे दर्ज की गई, वहां सिर्फ हरित पटाखों की बिक्री हो सकती है और दिवाली, छठ, नया साल/क्रिसमस की पूर्व संध्या जैसे अन्य मौकों पर पटाखों के इस्तेमाल और उन्हें फोड़ने की समय सीमा दो घंटे तक ही सीमित रखी जा सकती है, जिसे संबंधित राज्य तय कर सकते हैं।’’

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