देश की खबरें | गुजरात में कोविड-19 की ‘सुनामी’ क्योंकि राज्य ने अदालत और केंद्र की नहीं सुनी : अदालत

अहमदाबाद, 15 अप्रैल गुजरात उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को विजय रूपाणी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों में ‘सुनामी’ का सामना कर रहा है क्योंकि उसने पूर्व में अदालत और केंद्र द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल नहीं किया, साथ ही उतनी सतर्कता नहीं बरती गई जितनी बरती जानी चाहिए थी।

मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव करिया की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा बिस्तरों की उपलब्धता, जांच सुविधा, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन संबंधी दावों पर भी आशंका जताई।

पीठ ने कहा, ‘‘आशंका है कि भविष्य में स्थिति और भी खराब हो सकती है। इस अदालत ने फरवरी में कुछ सुझाव दिए थे। हमने और कोविड-19 समर्पित अस्पतालों को तैयार करने को कहा था। हमने कहा था कि पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध होने चाहिए, जांच की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, सुनिश्चत करें कि लोग मास्क पहले और सार्वजनिक स्थलों पर सख्त निगरानी रखी जाए।’’

अदालत ने कहा, ‘‘लेकिन, ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने हमारी सलाह पर विचार नहीं किया। इसी वजह से आज कोरोना वायरस महामारी की सुनामी देखी जा रही है। चूंकि, केंद्र लगातार राज्य को इसकी याद दिला रहा था लेकिन सरकार उतनी सतर्क नहीं थी जितनी होनी चाहिए।’’

अदालत ने यह टिप्पणी कोरोना वायरस महामारी की स्थिति और लोगों की समस्या पर पिछले सप्ताह स्वत: संज्ञान लेते हुए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

इसके जवाब में महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार मामले में ‘गंभीर’ थी और हर संभव प्रयास कर रही है।

रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता के बारे में उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा क्योंकि केंद्र सरकार ने गुजरात सरकार के अनुरोध पर इनके निर्यात पर रोक लगा दी है।

जब अदालत ने जांच सुविधा के बारे में पूछा तो त्रिवेदी ने सूचित किया कि डांग जिले को छोड़ राज्य के सभी जिलों में आरटी-पीसीआर जांच प्रयोगशाला है।

हालांकि, न्यायमूर्ति करिया ने त्रिवेदी को सरकार के दावे की दोबारा जांच करने को कहा और रेखांकित किया कि आणंद जिले में प्रयोगशाला नहीं है और नमूने अहमदाबाद लाए जाते हैं।

पिछली सुनवाई में दिए गए निर्देश के मुताबिक त्रिवेदी ने पीठ के सामने हलफनामे के जरिये स्थिति रिपोर्ट भी सौंपी।

इसमें बताया कि राज्य के करीब 1000 अस्पतालों में 71,021 बिस्तर हैं जिनमें से 12 अप्रैल को केवल 53 प्रतिशत ही भरे थे।

इस जवाब से असंतुष्ट पीठ ने कहा, ‘‘ हमें इस आंकड़ों को लेकर गंभीर आशंका है। आप कह रहे हैं कि केवल 53 प्रतिशत बिस्तर भरे हैं, इसके बावजूद मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। इस स्थिति में आंकड़े कैसे सही हो सकते हैं?’’

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