Gujarat Riots: अदालत ने पीड़ित को 49,000 रुपये मुआवजा देने का दिया निर्देश

अहमदाबाद में 1992 के सांप्रदायिक दंगों के एक पीड़ित को 25 साल बाद मिलेगा मुआवजा. अहमदाबाद की एक अदालत ने पीड़ित को ‘‘दर्द’’ और गोली लगने के कारण हुए ‘‘कष्ट’’ के लिए 49,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश गुजरात सरकार को दिया है.

गुजरात हाईकोर्ट (Photo Credits: Wikimedia Commons)

अहमदाबाद, 11 जनवरी : अहमदाबाद में 1992 के सांप्रदायिक दंगों के एक पीड़ित को 25 साल बाद मिलेगा मुआवजा. अहमदाबाद की एक अदालत ने पीड़ित को ‘‘दर्द’’ और गोली लगने के कारण हुए ‘‘कष्ट’’ के लिए 49,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश गुजरात सरकार को दिया है. पीड़ित ने यह मुकदमा 1996 में दायर किया था. दीवानी अदालत के न्यायाधीश एमए भट्टी ने हाल ही में एक आदेश में गुजरात सरकार को याचिकाकर्ता मनीष चौहान को 49,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि चौहान को आदेश के 30 दिन के भीतर मुकदमा दायर करने की तारीख से छह प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से साधारण ब्याज के साथ 49,000 रुपये का भुगतान किया जाए. चौहान ने सात लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी. अहमदाबाद में जुलाई 1992 में हुए दंगों के दौरान वह 18 वर्ष के थे.

याचिका में कहा गया कि अहमदाबाद में दो जुलाई 1992 को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था, जो कई दिन तक जारी रहा था. याचिका में कहा गया था कि पांच जुलाई को चौहान जब नगर निगम के अस्पताल में भर्ती अपनी मां को टिफिन देकर लौट रहे थे, तभी स्कूटर पर सवार कुछ लोगों ने उन पर गोली चला दी थी. उनकी कमर और छाती में गोली लगी थी. वह 14 जुलाई तक अस्पताल में भर्ती रहे थे. घटना के समय, चौहान एक निजी कर्मचारी के रूप में प्रति माह 1,000 रुपये कमाते थे और परिवार में वह एकलौते कमाने वाले थे. उनकी चोट के कारण, उनका वेतन आधा कर दिया गया था और इलाज मे उनके कुल 10,000 रुपये खर्च हुए थे. यह भी पढ़ें : UP Board Exams 2022: इस तारीख से शुरू हो सकती हैं यूपी बोर्ड की परीक्षाएं, शासन को भेजा संभावित एग्जाम का Timetable

सरकारी वकील ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने वादी के इलाज का खर्चा उठाया था और उसके घायल होने के दो दिन बाद ही अनुग्रह मुआवजे के रूप में 1,000 रुपये का भुगतान भी किया था. अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘ हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि वादी (चौहान) ने अपने इलाज के लिए कोई खर्च नहीं किया...लेकिन ऐसी चोट के कारण वादी और उसके परिवार को असुविधा हुई और चोट के कारण वादी को बेहद दर्द सहना पड़ा और इससे उसे सदमा भी लगा.’’

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