खेल की खबरें | दक्षिण अफ्रीका में ‘फुल लेंग्थ’ की गेंदबाजी कारगर नहीं है: मुकेश

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Sports at LatestLY हिन्दी. अपनी स्विंग गेंदबाजी से बल्लेबाजों को परेशान करने वाले मुकेश कुमार को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर सेंचुरियन में खेले गए पहले टेस्ट मैच में मौका नहीं मिला लेकिन न्यूलैंड्स में दूसरे टेस्ट मैच में उनकी कारगर गेंदबाजी के बाद टीम प्रबंधन को अपनी चूक का एहसास हुआ।

केपटाउन, छह जनवरी अपनी स्विंग गेंदबाजी से बल्लेबाजों को परेशान करने वाले मुकेश कुमार को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर सेंचुरियन में खेले गए पहले टेस्ट मैच में मौका नहीं मिला लेकिन न्यूलैंड्स में दूसरे टेस्ट मैच में उनकी कारगर गेंदबाजी के बाद टीम प्रबंधन को अपनी चूक का एहसास हुआ।

मोहम्मद सिराज (सात विकेट) और जसप्रीत बुमराह (आठ विकेट) की अनुभवी जोड़ी ने दूसरे टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। इस बीच टीम के तीसरे तेज गेंदबाज मुकेश ने चार विकेट लिये जिसमें दूसरी पारी में शीर्ष क्रम के दो खिलाड़ियों को आउट करना शामिल था।

स्विंग गेंदबाज फुल लेंग्थ (गेंद को बल्लेबाज के करीब टप्पा खिलाना) पसंद करते हैं लेकिन मुकेश थोड़ी पीछे की लेंथ से गेंदबाजी करने के बावजूद स्विंग से बल्लेबाजों को चकमा देने में सफल रहे।

भारत को दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला के दूसरे मैच में जीत दिलाने में अपना योगदान देने वाले मुकेश ने यहां कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि मैं टीम प्रबंधन द्वारा सौंपी गई भूमिका को निभाने में सक्षम रहा। मैं अपनी गेंदबाजी से संतुष्ट हूं और सबसे अच्छी बात यह है कि मैंने कड़ी मेहनत की है और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है।’’

कम गति के बावजूद चतुराई भरी गेंदबाजी से बल्लेबाजों को चकमा देने वाले मुकेश को यह समझने में देर नहीं लगी की दक्षिण अफ्रीका में ‘फुल लेंग्थ’ की गेंदबाजी कारगर नहीं है।

मुकेश ने कहा, ‘‘ भारतीय पिचों की तुलना में इस तरह की पिचों पर गेंदबाजी करने में बहुत अंतर है। भारत में, जब आप फुल लेंथ गेंद फेंकने की कोशिश करते हैं तो गेंद हवा में स्विंग होती है। अगर आप यहां बहुत ज्यादा फुल लेंथ फेंकने की कोशिश करते हैं, तो आप कारगर नहीं रहेंगे।’’

दो मैचों की श्रृंखला के 1-1 से बराबर होने के बाद उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने फैसला किया कि हम छह से आठ मीटर लंबाई (बैक ऑफ लेंग्थ) के बीच गेंदबाजी करेंगे। पिच से उछाल मिल रही थी ऐसे में विकेट लेने का मौका अधिक था।’’

सेंचुरियन में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारत की हार के बाद मुकेश ने नेट सत्र में कप्तान रोहित शर्मा को एक घंटे से अधिक गेंदबाजी की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘ वह हमेशा मार्गदर्शन के लिए तैयार रहते हैं। वह आपको बताते हैं कि किस तरह से गेंदबाजी करने से बल्लेबाजों को परेशान किया जा सकता है।’’

बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले मुकेश के दिवंगत पिता कोलकाता में कैब (कार) चलाते थे। वह चाहते थे कि उनका बेटा सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) में भर्ती हो लेकिन मुकेश शारीरिक परीक्षण पास करने में विफल रहे।

इस तेज गेंदबाज ने कोलकाता में टेनिस बॉल क्रिकेट खेलना शुरू किया और यह शहर उनके लिए ‘सिटी ऑफ जॉय’ बन गया।

इसी तरह के एक मैच में बंगाल के पूर्व तेज गेंदबाज राणादेब बोस की नजर मुकेश पर पड़ी और फिर इस गेंदबाज ने पीछे मुड़कर नहीं देखाा।

मुकेश ने अपने पहले पेशेवर कोच को सम्मान और स्नेह के साथ याद करते हुए कहा, ‘‘एक तेज गेंदबाज के रूप में मेरे विकास में राणादेब बोस का बहुत बड़ा योगदान है। अब भी अगर मैं अपनी गेंदबाजी में किसी भी तकनीकी समस्या का सामना करता हूं तो  एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) के कोच और उनका (बोस) सहारा लेता हूं।’’

वह गोपालगंज के पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं और इस क्षेत्र में उनकी छवि किसी बड़े नायक की तरह है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हां, जब मैं गोपालगंज वापस जाता हूं तो युवा मुझसे आकर बात करते हैं और अपने खेल के बारे में पूछते हैं और मार्गदर्शन लेते हैं। मैं यथासंभव उनकी मदद करने का प्रयास करता हूं। मैंने उन्हें कुछ बॉलिंग स्पाइक्स (गेंदबाजों के जूते) तोहफे में दिए हैं।’’

मुकेश ने पिछले साल 20 जुलाई को टेस्ट, 27 जुलाई को एकदिवसीय और तीन अगस्त को टी20 अंतरराष्ट्रीय में पदार्पण किया था।

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