नयी दिल्ली, 10 सितंबर भारतीय शेयर बाजारों में लगातार छह माह तक शुद्ध लिवाल रहने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) अब बिकवाल बन गए हैं। उन्होंने सितंबर में अबतक शेयर बाजारों से 4,200 करोड़ रुपये निकाले हैं।
यस सिक्योरिटीज (इंडिया) लिमिटेड की मुख्य निवेश सलाहकार निताशा शंकर ने कहा कि आने वाले एक या दो सप्ताह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा हमें रुपये के तेज उतार-चढ़ाव पर भी नजर रखने की जरूरत है, जो आगे चलकर एफपीआई प्रवाह को प्रभावित कर सकता है।’’
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने में आठ सितंबर तक शेयरों से शुद्ध रूप से 4,203 करोड़ रुपये निकाले हैं। इससे पहले एफपीआई का भारतीय शेयरों में निवेश अगस्त में चार माह के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर आ गया था।
इससे पहले एफपीआई पिछले छह माह मार्च से अगस्त तक लगातार भारतीय शेयरों में लिवाल रहे थे। इस दौरान उन्होंने 1.74 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने सितंबर में रुझान में बदलाव के लिए अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने को प्रमुख वजह बताया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा डॉलर सूचकांक की मजबूती की वजह से भी एफपीआई के रुख में बदलाव आया है।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी की मुख्य वजह वैश्विक ब्याज दर परिदृश्य, विशेष रूप से अमेरिका में अनिश्चितता और वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता रही है।’’
उन्होंने कहा कि ये चिंताएं व्यापक वैश्विक आर्थिक कारकों से उपजी हैं। इनमें कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और मुद्रास्फीति जोखिमों का फिर उभरना शामिल है।
समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में 643 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में एफपीआई का कुल निवेश 1.31 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 28,825 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
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