देश की खबरें | फ्रांसीसी लेखक लैपियर की मृत्यु के चार महीने बाद उनके भारतीय मित्र ने भी दुनिया छोड़ी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. जाने-माने फ्रांसीसी लेखक डॉमिनिक लैपियर के निधन के लगभग चार महीने बाद उनके भारतीय मित्र पिलखाना निवासी रेजिनाल्ड जॉन भी उनके पीछे हो लिए हैं। जॉन ने झुग्गी-बस्ती में रहने वालों के जीवन को समझने में लैपियर की मदद की थी, और फ्रांसीसी लेखक ने अपनी पुस्तक ‘सिटी ऑफ जॉय’ में इसका विविध चित्रण किया था।
हावड़ा, नौ अप्रैल जाने-माने फ्रांसीसी लेखक डॉमिनिक लैपियर के निधन के लगभग चार महीने बाद उनके भारतीय मित्र पिलखाना निवासी रेजिनाल्ड जॉन भी उनके पीछे हो लिए हैं। जॉन ने झुग्गी-बस्ती में रहने वालों के जीवन को समझने में लैपियर की मदद की थी, और फ्रांसीसी लेखक ने अपनी पुस्तक ‘सिटी ऑफ जॉय’ में इसका विविध चित्रण किया था।
पहले लैपियर और अब जॉन के दुनिया छोड़ने को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में पिलखाना के लोगों के प्रति उनके प्यार और दया के युग का अंत हो गया है।
किसी समय मुंबई के धारावी के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी झुग्गी माने जाने वाले पिलखाना के निवासियों के बीच अपनी सामाजिक सेवाओं के लिए ‘जॉन सर’ और ‘बड़े भाई’ जैसे उपनाम से मशहूर जॉन ने ऐसे समय में अंतिम सांस ली, जब हावड़ा में रामनवमी के जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं हैं।
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) चलाने वाले जॉन कैंसर से पीड़ित थे। उनका 29 मार्च को 70 साल की उम्र में निधन हो गया।
हावड़ा रेलवे स्टेशन से लगभग तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिलखाना के निवासी मोहम्मद एजाज ने कहा, “बड़े भाई (जॉन), लैपियर और फ्रांसीसी पादरी फ्रांकोइस लाबोर्डे द्वारा दिखाए गए प्यार, शांति और दया के स्थान पर अब हमारा शहर दो समूहों (हिंदू-मुस्लिम) के बीच संघर्ष और नफरत का अनुभव कर रहा है।’’
एक वकील और एक स्थानीय कल्याण संगठन ‘सेवा संघ समिति’ के अध्यक्ष सुरजीत बशिष्ठ ने कहा कि पिलखाना ने कभी इस तरह की हिंसा नहीं देखी थी। जॉन सेवा संघ समिति के सीईओ के रूप में जुड़े हुए थे।
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