देश की खबरें | विदेशी खिलाड़ियों को एचआईएल के समय और स्थल के बारे में पहले से पता था: भोला नाथ
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने बुधवार को उन बातों को खारिज कर दिया जिनमें कहा जा रहा था कि विदेशी खिलाड़ी कम पैसे, समय और आयोजन स्थल के कारण आगामी हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) से बाहर हो रहे हैं।
नयी दिल्ली, 11 दिसंबर हॉकी इंडिया के महासचिव भोला नाथ सिंह ने बुधवार को उन बातों को खारिज कर दिया जिनमें कहा जा रहा था कि विदेशी खिलाड़ी कम पैसे, समय और आयोजन स्थल के कारण आगामी हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) से बाहर हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अब शिकायत करने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि उन्हें पहले से ही सब कुछ पता था।
भोला नाथ ने कहा कि विदेशी खिलाड़ियों को फ्रेंचाइजी से जो पैसा मिला, वह उनके हाथ में नहीं था।
उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘जब 2013 में एचआईएल शुरू हुआ था, तब हम हॉकी के विश्व स्तर पर कहां थे। हम सबसे निचले पायदान पर थे लेकिन अब लगातार दो ओलंपिक कांस्य पदक जीतने के बाद फ्रेंचाइजी ने निश्चित रूप से भारतीय खिलाड़ियों पर बड़ा निवेश करना पसंद किया है जो भारतीय हॉकी के लिए अच्छा संकेत है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिए यह मायने नहीं रखता कि कुछ विदेशी खिलाड़ी किस बात पर शिकायत कर रहे हैं बल्कि यह मायने रखता है कि एचआईएल बड़े पैमाने पर पुनर्जीवित हो रहा है और यह बहुत आगे तक जाएगा। ’’
भोला नाथ ने कहा, ‘‘नीलामी में उन्हें (विदेशी खिलाड़ियों को) जो कीमत मिली, वह हमारे हाथ में नहीं है, यह फ्रेंचाइजी पर निर्भर करता है। अधिकांश फ्रेंचाइजी के पास विदेशी कोच हैं और उनका टीम प्रबंधन है, उन्होंने तय किया कि किसे खरीदना है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने से पहले जिन खिलाड़ियों ने एचआईएल में भाग लेने में अपनी रुचि दिखाई है, उन्हें एक अनुबंध भेजा गया है जिसमें टूर्नामेंट की शुरूआत की तारीख का उल्लेख किया गया है। अब अचानक, कुछ विदेशी खिलाड़ी कैसे कह सकते हैं कि उन्होंने इसलिए बाहर होने का फैसला किया क्योंकि यह उनकी क्रिसमस की छुट्टियों के साथ पड़ रहा था। ’’
यह पता चला है कि आठ पुरुष और चार महिला फ्रेंचाइजी ने 96 विदेशी खिलाड़ियों को खरीदा था लेकिन कई खिलाड़ियों ने 28 दिसंबर को राउरकेला में शुरू होने वाले टूर्नामेंट के अंतिम समय में अपना नाम वापस ले लिया।
सूत्रों के अनुसार विदेशी खिलाड़ी अपने भारतीय समकक्षों की तुलना में फ्रेंचाइजी से मिलने वाले पैसे से खुश नहीं थे।
इसके अलावा टूर्नामेंट का समय भी उनके लिए एक मुद्दा था क्योंकि यह क्रिसमस की छुट्टियों के साथ पड़ रहा था और वे राउरकेला जैसी साधारण जगह पर रहने के बजाय उस समय अपने परिवार के साथ रहना पसंद करते।
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