देश की खबरें | केंद्र को कृषि कानून वापस लेने के लिए मजबूर करें : भगवंत मान ने सांसदों को लिखा पत्र
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चंडीगढ़, 16 जुलाई आम आदमी पार्टी (आप) के पंजाब अध्यक्ष भगवंत मान ने शुक्रवार को सभी राजनीतिक दलों के सांसदों को एक खुला पत्र लिखकर किसानों का समर्थन करने और उन्हें केंद्र को अपने कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर करने का आग्रह किया।
संगरूर के सांसद ने अपने पत्र में कहा कि पंजाब और पूरे देश के किसान पिछले एक साल से केंद्र के ‘काले कृषि कानूनों’ के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी जायज मांगों को नहीं सुना और कोई गंभीरता नहीं दिखायी।’’ मान ने कहा कि आंदोलन शुरू होने के बाद से कई किसानों की जान चली गयी। उन्होंने लिखा, ‘‘अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार फैसला करे और किसानों की मांग के मुताबिक ‘काले कृषि कानूनों’ को निरस्त करे।’’
उन्होंने पत्र में लिखा, ‘‘आम आदमी पार्टी, पंजाब के अध्यक्ष और सांसद के साथ-साथ एक किसान के बेटे के रूप में, मैं आप सभी से किसानों के मुद्दे पर एकजुट होने और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को इस संबंध में निर्णय लेने के लिए मजबूर करने का अनुरोध करता हूं।’’
आप नेता ने सांसदों से संसद के मानसून सत्र में कानूनों के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की और कहा कि सांसदों को ‘‘किसान यूनियनों द्वारा की गई अपील के मद्देनजर सत्र के दौरान बहिष्कार या वॉकआउट से बचना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसान हमारे देश की रीढ़ हैं’’ और शासन करने वालों तक उनकी आवाज पहुंचाना ‘‘हमारी जिम्मेदारी’’ है। मान ने आगे कहा कि वह संसद के मानसून सत्र के दौरान अध्यक्ष की अनुमति से लोकसभा में कृषि कानूनों के संबंध में कई प्रश्न रखेंगे।
आप के नेता ने कहा, ‘‘मैं जनता की आवाज उठाने वाली तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे राजनीति से ऊपर उठकर किसानों के मुद्दे को गंभीरता से लें।’’
आप सांसद का पत्र ऐसे वक्त आया है जब संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को कहा था कि उसने मानसून सत्र के दौरान संसद में सभी सांसदों को कृषि कानूनों को खत्म करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग करने के लिए एक "पीपुल्स व्हिप" जारी किया है। आंदोलनकारी किसानों ने कहा है कि 22 जुलाई से मानसून सत्र के अंत तक संसद के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करेंगे।
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