वाराणसी, 24 जुलाई उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने सोमवार सुबह ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की शुरुआत की लेकिन करीब चार घंटे के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यह कार्रवाई रोक दी गयी।
वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने सोमवार को बताया कि उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण की कार्रवाई को 26 जुलाई शाम तक के लिए रोकने का निर्देश दिया है, जिसको देखते हुए सर्वेक्षण पर रोक लगा दी गयी है।
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 26 जुलाई की शाम तक के लिए जिला जज के सर्वे की कार्यवाही के आदेश पर रोक लगाई है। हम दो दिन के अंदर उच्च न्यायालय जाकर इस पर बहस करेंगे। मुस्लिम पक्ष की तरफ से गलत बयान दिया जा रहा है कि परिसर में तोड़ फोड़ की जा रही है, जबकि परिसर में सर्वे के दौरान सिर्फ पैमाइश और मैपिंग का कार्य किया जा रहा है।
सर्वे की कार्रवाई से बाहर निकलने के बाद हिन्दू पक्ष के एक अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया, ''सर्वेक्षण की कार्रवाई लगभग चार घंटे चली है। पहले पूरे परिसर का मुआयना और पैमाइश की गयी। चार टीमों को चारों कोने पर लगाया गया था। सर्वे के दौरान चार कैमरे परिसर के चारों कोने पर लगाकर सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड किया गया है। परिसर में लगे पत्थर और ईंटों का मुआयना किया गया।''
चतुर्वेदी ने दावा, ''हमें यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है और सर्वे का परिणाम हमारे पक्ष में ही आएगा।''
इसके पहले हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक अदालत के आदेशानुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 30 सदस्यीय टीम ने सोमवार सुबह सात बजे वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश किया, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित यह मस्जिद किसी मंदिर के ऊपर तो नहीं बनाई गई है।
इस बीच उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया कि मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के संबंध में वाराणसी की अदालत का आदेश 26 जुलाई को शाम पांच बजे तक लागू नहीं किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से कहा कि वह उसके आदेश की समाप्ति से पहले मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करे।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मस्जिद समिति की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की दलील का संज्ञान लिया कि मामले में तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए। इस पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
यह आदेश आने के बाद सर्वेक्षण टीम ने अपनी कार्रवाई रोक दी। करीब चार घंटे तक एएसआई की सर्वेक्षण टीम परिसर के अंदर रही और शीर्ष अदालत का आदेश मिलने के बाद टीम के सदस्य परिसर से बाहर निकल आए।
वाराणसी में जनपद न्यायाधीश ए.के. विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी थी।
मामले में हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका में एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा के अधिकार की मांग की गई थी।
अप्रैल 2022 में दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण अंततः मई 2022 में पूरा हुआ था। इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था।
सं आनन्द पारुल
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