फसल खरीद की उचित व्यवस्था नहीं होने से निराश हैं हरियाणा के किसान: कांग्रेस

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पिछले महीने 14 अप्रैल तक 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसे आज बढ़ाकर तीन मई, 2020 तक कर दिया गया है।

जमात

चंडीगढ़, 14 अप्रैल हरियाणा कांग्रेस की प्रमुख कुमारी शैलजा ने मंगलवार को दावा किया कि लॉकडाउन के कारण फसल खरीद की ‘समुचित व्यवस्था’ नहीं होने से राज्य के किसान निराश महसूस कर रहे हैं।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पिछले महीने 14 अप्रैल तक 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसे आज बढ़ाकर तीन मई, 2020 तक कर दिया गया है।

राज्य में पार्टी के नेताओं और विधायकों के साथ बैठक में शैलजा न कहा कि लॉकडाउन के पिछले तीन सप्ताह में गरीबों और प्रवासी मजदूरों की हालत बहुत खराब हो गयी है, उन लोगों को भोजन और राशन भी ठीक से नहीं मिल रहा है।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ नेताओं रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुलदीप बिश्नोई आदि ने हिस्सा लिया।

एक बयान में कहा गया कि बैठक में लॉकडाउन के मद्देनजर किसानों को हो रही परेशानियों, अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और दिहाड़ी मजदूरों, गरीबों और मजदूरों को मुफ्त में राशन नहीं मिलने सहित कई मुद्दे उठाए गए।

इसमें कहा गया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए निजी सुरक्षा उपकरणों की कमी और राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 राहत कार्य में विपक्षी विधायकों का समर्थन नहीं लेने पर भी चर्चा की गई।

बयान में कहा गया कि कांग्रेस नेताओं ने विधवाओं, दिव्यांगों और वृद्धों को तीन महीने की पेंशन देने की मांग की। बिजली का तीन महीने का बिल माफ करने जैसे सुझाव भी दिए गए।

वहीं सुरजेवाला ने किसानों के सामने खड़ी समस्याओं का उल्लेख करते हुए सवाल किया, ''लाखों एकड़ गेहूं-रबी की फसलें कटाई के लिए तैयार हैं, लेकिन इंतज़ाम क्यों नहीं? समय पर कटाई और एमएसपी पर फसल ख़रीद सुनिश्चित करने को लेकर आप चुप क्यों हैं? देश का अन्नदाता और खेती आपकी प्राथमिकता सूची से बाहर क्यों हैं?''

उन्होंने यह सवाल भी किया, ''पलायन कर चुके करोड़ों मज़दूर आज रोज़गार-रोटी के संकट से जूझ रहे हैं। इस संवेदनशील व मानवीय मसले पर आपका ऐक्शन प्लान क्या है?''

उन्होंने कहा, ''कोरोना से पहले ही देश का युवा अभूतपूर्व बेरोज़गारी से जूझ रहा था। अब बेरोज़गारी-छंटनी-नौकरियां जाने की दर विकराल रूप ले रही है, सरकार की ‘कोविड-19 एकनॉमिक रिकवरी टास्क फ़ोर्स’ कहाँ ग़ायब है? करोड़ों युवा कहां जाएं?"

सुरजेवाला के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़- दुकानदार, लघु और मध्यम उद्योग- आज चौपट होने की कगार पर हैं। खेती के बाद सबसे अधिक रोज़गार इन्ही क्षेत्रों में है।

उन्होंने सवाल किया कि इन्हें वापस पटरी पर लाने व आर्थिक मदद के बारे में आपकी क्या कार्य योजना है?

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