नयी दिल्ली, 30 जुलाई राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत 12 अगस्त को यह तय करेगी कि कथित आबकारी घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जाए या नहीं।
विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई मंगलवार को 12 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी कि सीबीआई ने आरोपपत्र के समर्थन में दस्तावेज पेश नहीं किए हैं।
कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में अपनी जांच पूरी करते हुए सीबीआई ने सोमवार को केजरीवाल और अन्य के खिलाफ मामले में अपना अंतिम आरोपपत्र दायर किया।
सीबीआई ने इससे पहले इस मामले में एक मुख्य आरोपपत्र और चार अनुपूरक आरोपपत्र दाखिल किए थे, जिनमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तेलंगाना की एमएलसी के. कविता और अन्य को आरोपी बनाया गया था।
एजेंसी ने कहा कि सोमवार को दाखिल किया गया आरोपपत्र इस मामले में अंतिम आरोपपत्र है।
एजेंसी ने के. कविता के खिलाफ अपने आरोपपत्र में कहा था कि शराब व्यवसायी मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी (तेलुगु देशम पार्टी के नेता एवं सांसद) ने 16 मार्च, 2021 को दिल्ली सचिवालय स्थित केजरीवाल के कार्यालय में उनसे मुलाकात की थी और उनसे आबकारी नीति 2021-22 में बदलाव करने का अनुरोध किया था, ताकि राष्ट्रीय राजधानी में उनके शराब कारोबार को मदद मिल सके।
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने रेड्डी की मदद करने का आश्वासन दिया था और उनसे आरोपी कविता से संपर्क करने को कहा था, क्योंकि वह दिल्ली की आबकारी नीति पर उनकी टीम के साथ मिलकर काम कर रही थीं।
उसने आरोप लगाया था कि बदले में केजरीवाल ने रेड्डी से उनकी आम आदमी पार्टी (आप) को धन मुहैया कराने को कहा था।
सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि दक्षिण भारत में शराब कारोबार से जुड़े कुछ लोगों ने सह-आरोपियों विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और दिनेश अरोड़ा के माध्यम से 2021-22 की आबकारी नीति में बदलाव करने के लिए दिल्ली में सत्तारूढ़ ‘आप’ के कुछ नेताओं और अन्य लोक सेवकों को लगभग 90-100 करोड़ रुपये की रिश्वत पेशगी के रूप में दी थी।
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि रिश्वत की रकम एल-1 लाइसेंस रखने वाले थोक विक्रेताओं के मुनाफा मार्जिन से बाद में विभिन्न तरीकों से उन्हें वापस कर दी गई थी।
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