देश की खबरें | पूर्व नौकरशाहों ने गुजरात दंगा मामले में ‘अनावश्यक टिप्पणी’ वापस लेने का शीर्ष अदालत से किया अनुरोध

नयी दिल्ली, छह जुलाई जानेमाने पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल (एसआईटी) की क्लीन चिट को बरकरार रखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और अन्य के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की ‘‘अनावश्यक टिप्पणी’’ वापस लेने का बुधवार को अनुरोध किया।

इन पूर्व नौकरशाहों के समूह ने एक 'खुले पत्र' में शीर्ष अदालत से इस आशय का स्पष्टीकरण जारी करने को भी कहा कि यह उनका इरादा नहीं था कि सीतलवाड को गिरफ्तारी का सामना करना चाहिए, जिसे फैसले के एक दिन बाद हिरासत में लिया गया था और अगले दिन गुजरात पुलिस ने दंगों के मामलों के संबंध में सबूत गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्होंने उच्च्तम न्यायालय से सीतलवाड को बिना शर्त रिहा करने का आदेश देने का आग्रह किया।

92 पूर्व नौकरशाह द्वारा हस्ताक्षरित खुले बयान में कहा गया है, ‘‘हर एक दिन की चुप्पी अदालत की प्रतिष्ठा को कमतर करती है और संविधान के मूल सिद्धांत को बनाए रखने के उसके दृढ़ संकल्प के बारे में सवाल उठाती है जो कि राज्य के संदिग्ध कार्यों के खिलाफ जीवन और स्वतंत्रता के मूल अधिकार की रक्षा करना है।’’

हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जी के पिल्लई, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह, पूर्व स्वास्थ्य सचिव के सुजाता राव, पूर्व आईपीएस अधिकारी ए एस दुलत और पूर्व आईएएस अधिकारी अरुणा रॉय शामिल हैं।

बयान में कहा गया है कि जकिया एहसान जाफरी बनाम गुजरात राज्य मामले में हाल ही में तीन-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले ने नागरिकों को पूरी तरह से परेशान और निराश किया।

उन्होंने कहा कि लोग केवल अपील खारिज होने से ही नहीं बल्कि पीठ द्वारा अपीलकर्ताओं, उनके वकील और समर्थकों के बारे में ‘‘अनावश्यक टिप्पणी’’ से हैरान हुए।

बयान में फैसले के पैरा 88 का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘‘सबसे आश्चर्यजनक टिप्पणी में, उच्चतम न्यायालय ने विशेष जांच दल के अधिकारियों की सराहना की जिन्होंने राज्य का बचाव किया है और एसआईटी के निष्कर्षों को चुनौती देने वाले अपीलकर्ताओं की आलोचना की।’’

उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका 24 जून को खारिज कर दी थी। न्यायालय ने इसके साथ ही कहा कि इन आरोपों के समर्थन में पुख्ता तथ्य उपलब्ध नहीं हैं कि 2002 के गोधरा दंगों को गुजरात में सर्वोच्च स्तर पर रची गई आपराधिक साजिश के कारण पूर्व-नियोजित घटना कहा जाए।

पूर्व नौकरशाहों ने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों से अपने आदेश की समीक्षा करने और पैरा 88 में निहित टिप्पणियों को वापस लेने का आग्रह करेंगे। हम उनसे उनकी बिरादरी के एक प्रतिष्ठित पूर्व सदस्य, न्यायमूर्ति मदन लोकुर द्वारा उल्लेखित कदम को अपनाने का भी अनुरोध करेंगे।’’

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