लखनऊ, आठ मार्च उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बिना प्रत्याशियों के संज्ञान में लाये कथित तौर पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) ले जाये जाने के मामले में निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि ईवीएम प्रशिक्षण के लिए ले जाई जा रही थीं, जिसको कुछ राजनीतिक लोगों ने रोककर चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम कहकर अफवाह फैलाई।
इससे पहले, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार शाम को आरोप लगाया कि वाराणसी में प्रयुक्त ईवीएम ट्रकों से कहीं ले जाई जा रही थी। उन्होंने दावा किया कि एक ट्रक को लोगों ने रोका लेकिन दो ट्रक भाग गये। उनका आरोप था कि सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर यह गड़बड़ी की गई।
इस बीच, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने मंगलवार देर शाम जारी एक बयान में कहा कि कुछ मीडिया चैनलों द्वारा यह संज्ञान में लाया गया है कि वाराणसी में आज कुछ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें गाड़ी में ले जायी जा रही थीं, जिन पर वहां उपस्थित राजनीतिक प्रतिनिधियों द्वारा आपत्ति की गयी।
जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा प्रेषित आख्या के हवाले से बयान में कहा गया कि जांच में यह पाया गया कि ये ईवीएम प्रशिक्षण के लिए चिन्हित थीं। बयान के मुताबिक, जिले में मतगणना अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए कल (बुधवार को) प्रशिक्षण आयोजित किया गया है, जिसके लिए ईवीएम मंडी में स्थित अलग खाद्य गोदाम में बने स्टोरेज से यूपी कॉलेज स्थित प्रशिक्षण स्थल ले लायी जा रही थीं।
बयान में कहा गया कि बुधवार को मतगणना में लगे कर्मचारियों के लिए दूसरा प्रशिक्षण सत्र है और ये मशीनें प्रशिक्षण में हमेशा प्रयुक्त होती हैं। बयान में कहा गया कि आज प्रशिक्षण के लिए ले जायी जा रहीं इन ईवीएम को लेकर कुछ राजनीतिक लोगों ने इसे चुनाव में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन कहकर अफवाह फैलाई है।
राज्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने दावा किया कि मतदान में प्रयुक्त सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन स्ट्रांग रूम के अन्दर सील बंद हैं तथा केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों के त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में सुरक्षित हैं। इसने कहा कि ये मशीन पूरी तरह से अलग हैं और सुरक्षित हैं और सीसीटीवी की निगरानी में हैं।
बयान में कहा गया कि सभी राजनीतिक दलों/प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों द्वारा सीसीटीवी के माध्यम से इन पर लगातार सीधी निगरानी की जा रही है।
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