देश की खबरें | ग्राम न्यायालयों की स्थापना से न्याय तक पहुंच में सुधार होगा: उच्चतम न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि देश भर में ग्राम न्यायालयों की स्थापना से न्याय तक पहुंच बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

नयी दिल्ली, 11 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि देश भर में ग्राम न्यायालयों की स्थापना से न्याय तक पहुंच बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

संसद द्वारा 2008 में पारित एक अधिनियम में नागरिकों को उनके घर के निकट न्याय उपलब्ध कराने के लिए ग्राम न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान किया गया था तथा यह सुनिश्चित किया गया था कि सामाजिक, आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण किसी को भी न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए।

न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र और सभी राज्यों को उच्चतम न्यायालय की निगरानी में ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा, "कुछ राज्य कह रहे हैं कि हमें ग्राम न्यायालयों की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हमारे पास न्याय पंचायतें हैं।"

उन्होंने कहा कि न्याय पंचायतें वास्तव में ग्राम न्यायालयों जैसी नहीं हैं, जिनमें न्यायिक अधिकारी होते हैं। पीठ ने मामले में सहायता के लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता को ‘एमिकस क्यूरी’ (अदालत मित्र) के रूप में नियुक्त किया।

पीठ ने कहा, ‘‘जितनी जल्दी ये न्यायालय स्थापित हो जाएं...न्याय तक पहुंच उतनी ही बेहतर होगी।’’ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से पेश एक वकील ने पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय 2009 से राज्य सरकार को ग्राम न्यायालय स्थापित करने का अनुरोध करते हुए पत्र लिख रहा है।

पीठ ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से उपस्थित वकील की दलील का संज्ञान लिया कि ग्राम न्यायालयों की स्थापना के लिए राज्य को बार-बार याद दिलाने के बावजूद इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया है।

शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश सरकार को अगली सुनवाई से पहले जवाब देने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की गई। पीठ ने अब तक इस मामले में हलफनामा दाखिल नहीं करने वाले राज्यों या उच्च न्यायालयों से तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा।

उच्चतम न्यायालय ने 12 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, ‘‘हमारी राय में, अधिक ग्राम न्यायालयों की स्थापना से किफायती मूल्य पर न्याय तक पहुंच और दरवाजे पर न्याय प्रदान करने के अलावा, निचली अदालतों के समक्ष लंबित मामलों की भारी संख्या में कमी आएगी।’’

शीर्ष अदालत ने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को छह सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर ग्राम न्यायालयों की स्थापना और कामकाज के बारे में ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।

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