देश की खबरें | शिक्षा मंत्रालय ने मेघालय में पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय में संकट को हल करने के लिए टीम भेजी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की दो सदस्यीय समिति मेघालय में पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय (एनईएचयू) का दौरा कर वहां दो सप्ताह से अधिक समय से जारी छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच कुप्रबंधन और प्रशासनिक विफलता के आरोपों की जांच करेगी। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

शिलॉन्ग, 26 नवंबर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की दो सदस्यीय समिति मेघालय में पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय (एनईएचयू) का दौरा कर वहां दो सप्ताह से अधिक समय से जारी छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच कुप्रबंधन और प्रशासनिक विफलता के आरोपों की जांच करेगी। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि समिति के सदस्यों, पूर्व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अध्यक्ष डी.पी. सिंह और असम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दिलीप चंद्र नाथ ने सोमवार को विश्वविद्यालय के छात्र संघ के नेताओं, संकाय सदस्यों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के साथ बैठक की।

एनईएचयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष लाखोन केएमए ने कहा, ‘‘संकाय सदस्य, छात्र और गैर-शिक्षण कर्मचारी समिति के सदस्यों से मिले और संतुष्ट हैं। समिति के दोनों सदस्यों ने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को ध्यान से सुना, जिसमें कुलपति पीएस शुक्ला को स्थायी रूप से हटाने की मांग भी शामिल थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें जो कहना था, हमने कह दिया है। छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। एनईएचयूटीए, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों द्वारा अब तक जो भी मुद्दे उठाए गए हैं, उन्हें समिति के समक्ष रखा गया है।’’

उन्होंने बताया कि समिति के साथ बैठक में उठाए गए मुद्दों में कुलपति द्वारा भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी और कर्मचारियों को पदोन्नति देने के आरोप शामिल थे।

विश्वविद्यालय में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच कुलपति को 29 नवंबर तक छुट्टी पर भेज दिया गया। विरोध प्रदर्शन के कारण केंद्रीय विश्वविद्यालय को पूर्णत: बंद करना पड़ा।

केएमए ने कहा, ‘‘जांच का नतीजा चाहे जो भी हो, प्रोफेसर शुक्ला की परिसर में वापसी अस्वीकार्य है।’’

छात्र नेता सैंडी सोहतुन ने कहा कि उन्होंने 2022 से अब तक कुलपति को भेजे गए सभी ज्ञापनों की प्रतियां समिति को सौंप दी हैं।

मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा द्वारा केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के समक्ष यह मुद्दा उठाए जाने के बाद केंद्र ने समिति का गठन किया। संगमा ने इससे पहले परिसर में प्रदर्शनकारी छात्रों से भी मुलाकात की थी।

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