पटना, 21 जनवरी : बिहार के शिक्षा विभाग ने सभी जिलाधिकारियों से उस आदेश को वापस लेने को कहा है जिसमें उन्होंने विद्यालयों को शीत लहर के मद्देनजर निचली कक्षाओं को निलंबित करने का निर्देश देने के लिए आपराधिक दंडप्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा का इस्तेमाल किया है. शिक्षा विभाग के प्रभारी अपर मुख्य सचिव (एसीएस) के के पाठक ने सभी प्रमंडल आयुक्तों को भेजे पत्र में यह भी कहा है कि जिलाधिकारियों को आदेश जारी करने से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति लेनी चाहिए थी.
पाठक ने 20 जनवरी को लिखे अपने उक्त पत्र में कहा, ‘‘जिलाधिकारियों से पूछा जाए कि उनका निषेधात्मक आदेश केवल स्कूलों पर कैसे लागू होंगे और कोचिंग संस्थानों और सिनेमा हॉल, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों जैसे अन्य सार्वजनिक स्थानों पर क्यों नहीं.’’ पत्र में कहा गया है कि जब सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने का आदेश दिया जाता है तो यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि ऐसा आदेश किसी न्यायिक जांच में पास होना चाहिए. इस तरह के आदेश को समानता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए. इसका मतलब है कि निषेधाज्ञा आदेश सभी संबंधितों कोचिंग संस्थानों, सिनेमा हॉल जैसे सार्वजनिक स्थानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों आदि पर समान रूप से लागू होना चाहिए. यह भी पढ़ें : सीतारमण ने तमिलनाडु सरकार पर मंदिरों में भगवान राम की पूजा पर रोक लगाने का आरोप लगाया
राज्य के कई जिलों में मौजूदा ठंड के मौसम की स्थिति को देखते हुए कुछ जिलाधिकारियों ने आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूलों (सरकारी और निजी) को बंद करने का आदेश दिया था. पत्र में कहा गया है कि ऐसे आदेश को स्कूलों से वापस लिया जाना चाहिए तथा भविष्य में सरकारी स्कूल के समय में बदलाव का आदेश देने से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति लेनी होगी. इस पत्र की प्रति ‘पीटीआई-’ के पास है.