देश की खबरें | मध्यप्रदेश की महिला न्यायाधीशों की बर्खास्तगी: न्यायालय उनके खिलाफ सीलबंद रिपोर्ट पर विचार करेगा
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नयी दिल्ली, 27 नवंबर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सेवा से बर्खास्त की गईं दो दीवानी न्यायाधीशों के खिलाफ कथित रूप से असंतोषजनक प्रदर्शन और अन्य सामग्रियों पर उच्चतम न्यायालय सीलबंद लिफाफे में दी गई रिपोर्ट पर तीन दिसंबर को विचार कर सकता है।
शीर्ष अदालत ने 11 नवंबर, 2023 को कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला दीवानी न्यायाधीशों की सेवाएं समाप्त किये जाने के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 23 जुलाई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से न्यायिक अधिकारियों की सेवाएं समाप्त करने के उसके फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने एक अगस्त को अपने पूर्व प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों- ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी, को कुछ शर्तों के अधीन बहाल करने का निर्णय लिया।
पीठ ने कहा था, “जहां तक दो अन्य अधिकारियों, अर्थात् सरिता चौधरी और अदिति कुमार शर्मा का संबंध है, पहले के आदेशों और प्रस्तावों को रद्द नहीं किया गया है और पूर्ण पीठ ने उनके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियों व अन्य सामग्रियों को एक सीलबंद लिफाफे में इस अदालत के समक्ष रखने का भी संकल्प लिया है।”
बुधवार को दो बर्खास्त न्यायिक अधिकारियों में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने जानना चाहा कि क्या उनकी मुवक्किल के खिलाफ खंडन करने के लिए कोई नयी सामग्री है।
पीठ ने प्रतिवेदनों पर ध्यान दिया और सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट की एक प्रति न्यायमित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल के साथ साझा करने का आदेश दिया। न्यायमित्र को निर्देश दिया गया कि वह पीठ को रिपोर्ट की प्रति किसी और के साथ साझा किए बिना, बर्खास्त न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ यदि कोई नयी सामग्री है, तो उसके बारे में तीन दिसंबर को अगली सुनवाई पर अवगत कराएं।
पीठ ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट फिलहाल बर्खास्त न्यायिक अधिकारियों के वकीलों के साथ साझा नहीं की जाएगी।
सेवा समाप्ति का संज्ञान लेते हुए पीठ ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री और उन न्यायिक अधिकारियों को नोटिस जारी किया, जिन्होंने सेवा समाप्ति के खिलाफ न्यायालय से संपर्क नहीं किया था।
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