देश की खबरें | जेएलएफ में पुरुषों को शिक्षित करने, महिलाओं की पसंद के सम्मान जैसे विषयों पर चर्चा

जयपुर, दो फरवरी सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न का विषय जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) में मुख्य मुद्दा रहा, जहां सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय, वकील वृंदा ग्रोवर और अर्थशास्त्रियों सीमा जयचंद्रन और अभिजीत बनर्जी ने इस अपराध से जुड़े कारकों, इसके निवारण के तरीकों और दीर्घकालिक समाधानों पर चर्चा की।

पैनलिस्ट शनिवार को 'द सिटी थ्रू हर आइज: वॉयसेज ऑन सेक्सुअल हैरेसमेंट इन इंडिया' सत्र में बोल रहे थे।

यह सत्र प्रमोद भसीन के शोध केन्द्र ‘जे-पाल साउथ एशिया’ और गैर सरकारी संगठन अपराजिता द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर महिला सुरक्षा पर किए गए सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर आधारित था।

जयपुर और दिल्ली में क्रमशः 1,899 और 2,093 महिलाओं के बीच किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि जयपुर में लगभग 50 प्रतिशत और राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 65 प्रतिशत महिलाओं को पिछले वर्ष सार्वजनिक स्थानों पर किसी न किसी रूप में यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें घूरना, छेड़खानी, इशारे, जबर्दस्ती छूना, पीछा करना, यौन हमला आदि शामिल है।

सर्वेक्षण में बताया गया है कि महिलाओं को लगभग सभी सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, जिनमें सड़कें, सार्वजनिक परिवहन, बस स्टॉप व रेलवे स्टेशन, बाजार, स्कूल और यहां तक ​​कि पूजा स्थल भी शामिल हैं।

बाल एवं महिला अधिकार कार्यकर्ता ग्रोवर ने कहा कि यह अंतर करना महत्वपूर्ण है क्योंकि “केवल बलात्कार को महिलाओं के विरुद्ध अपराध के रूप में देखा जाता है”।

ग्रोवर ने कहा, “मुझे वास्तव में खुशी है कि आज हम यौन उत्पीड़न पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो, जैसा कि आपका सर्वेक्षण हमें दिखाता है, सार्वजनिक स्थान पर महिलाओं के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है।”

बनर्जी ने कहा कि सामाजिक संरचना के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं शहरी महिलाओं की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित हो सकती हैं, इसपर रॉय ने कहा कि महिलाओं को कमोबेश इसी तरह से निशाना बनाया जाता है।

रॉय ने कहा, "लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में, सांस्कृतिक रूप से पुरुष कुछ चीजें नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, सार्वजनिक स्थान सीमित हैं, अलग-थलग हैं, इसलिए इससे कुछ प्रकार की सुरक्षा मिल सकती है, लेकिन ग्रामीण महिलाओं के साथ भयानक यौन उत्पीड़न के मामले शहरी क्षेत्रों की तरह ही हैं, केवल स्थान अलग हैं।"

वहीं, जयचंद्रन ने घर और स्कूल में किशोर लड़कों पर ध्यान देने का सुझाव दिया ताकि लैंगिक समानता, पुरुषत्व के मानदंडों और उनकी भावनाओं को समझने में मदद मिल सके, वहीं रॉय ने कहा कि इसका कोई एक समाधान नहीं है, बल्कि कई समाधान हैं, जिनमें पुरुषों को शिक्षित करना भी शामिल है।

रॉय ने कहा, “हमारे समाज के पुरुषों को शिक्षित होने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि यही मूलभूत कारण है कि ऐसी घटनाएं क्यों होती हैं। पूरे समाज को यह समझना होगा कि ये युवा पुरुष इतने निराश क्यों हैं...क्योंकि वे बेरोजगार हैं, सड़कों पर रहते हैं और इससे उनके सामाजिक व्यवहार में कई तरह की विचित्रताएं पैदा होती हैं।"

ग्रोवर ने कहा कि एक ओर पुरुषों और लड़कों की घर पर निगरानी करने और उन्हें अनुशासन सिखाने की आवश्यकता है, वहीं दीर्घकालिक समाधान के लिए महिलाओं की पसंद का सम्मान किया जाना चाहिए।

वकील ने कहा, "जो लोग यौन उत्पीड़न में लिप्त हैं, वे कहीं और से नहीं आ रहे हैं, वे हमारे बीच ही हैं। अपने परिवार की लड़कियों और महिलाओं पर पुलिसिया नियंत्रण करना बंद करें। इसके बजाय, पुरुषों और लड़कों पर थोड़ा नियंत्रण रखें और उन्हें अनुशासित करें। महिलाओं की पसंद का सम्मान करें।"

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