जरुरी जानकारी | आवक घटने के बावजूद सरसों सहित अधिकांश तेल-तिलहन में गिरावट

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. बाजार में सरसों की आवक घटने के बावजूद मांग कमजोर रहने से सरसों सहित बाकी तेल- तिलहनों के दाम में गिरावट देखी गई। जबकि सोयाबीन तेल और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

नयी दिल्ली, 17 जून बाजार में सरसों की आवक घटने के बावजूद मांग कमजोर रहने से सरसों सहित बाकी तेल- तिलहनों के दाम में गिरावट देखी गई। जबकि सोयाबीन तेल और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

मलेशिया एक्सचेंज आज बंद है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में सोयाबीन तेल, तिलहन और सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) सबमें गिरावट है।

सूत्रों ने कहा कि आयातित खाद्य तेलों के सस्ते थोक दाम से पूरे बाजार का कारोबारी माहौल प्रभावित हुआ है और अधिक लागत वाले देशी तेल-तिलहनों पर भारी दबाव है। पेराई मिलें विशेष तौर पर परेशान हैं क्योंकि पेराई के बाद देशी तेल- तिलहन और मंहगे हो जाते हैं और विदेशी आयातित तेलों के सुस्त थोक दाम के आगे इनका खपना मुश्किल हो गया है। आज सरसों की आवक पहले के साढ़े पांच लाख बोरी से घटकर चार लाख बोरी रह गई लेकिन उसके बावजूद मंहगे देशी तेल- तिलहन खप नहीं रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लगभग एक सप्ताह में सोयाबीन की बिजाई शुरू होनी है। सरकार की ओर से सोयाबीन के नये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की अभी घोषणा की जानी बाकी है। इसके अलावा सरकार ने देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित करने की दिशा में भी अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। सोयाबीन उत्पादकों के प्रमुख तेल संगठन ‘सोपा’ ने भी कृषि मंत्री को पत्र लिखकर आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगाने और देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित करने की मांग रखी है। मौजूदा समय में सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ है और मंडियों में यह एमएसपी से लगभग 200 रुपये क्विंटल (4 से 5 प्रतिशत) नीचे बिक रहा है।

सूत्रों ने कहा कि देशी तेल-तिलहनों की लागत इतनी बैठती है कि आयातित तेलों के सस्ते थोक दाम के आगे वे टिक नहीं पा रहे हैं। हालांकि, खुदरा बाजार में स्थिति एकदम उलट है। वहां यही सस्ता आयातित तेल, उपभोक्ताओं को ऊंचे दाम पर ही बेचा जा रहा है लेकिन इसने बाकी तेल- तिलहनों की कारोबारी धारणा को बिगाड़ डाला है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को खाद्य तेलों के दाम में बेइंतहा वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए राशन की दुकानों पर इन्हीं आयातित तेलों को मंगाकर वितरण करने के विकल्प के बारे में सोचना चाहिये और सस्ते की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) निर्धारण करने के फार्मूले को दुरुस्त करने और एमआरपी की घोषणा करने के लिए पोर्टल बनाने जैसे उपायों पर गौर करना चाहिये।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,900-5,960 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,100-6,375 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,600 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,840-1,940 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,840-1,965 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,325 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,140 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,825 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,225 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,900 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,680-4,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,490-4,610 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

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