नयी दिल्ली, 27 नवंबर दिल्ली में सोमवार को हवा बंद रहने और आसमान में बादल छाए रहने के कारण वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी के करीब पहुंच गई। निगरानी एजेंसियों ने यह जानकारी दी।
राष्ट्रीय राजधानी के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला में दिल्ली और उसके उपनगरों में धुंध की मोटी परत छाई रहने से सुबह आठ बजे दृश्यता घटकर 600 मीटर दर्ज की गई। वहीं, इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दृश्यता 800 मीटर थी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग(आईएमडी) के एक अधिकारी ने कहा कि हवा की गति में मामूली वृद्धि और हल्की बारिश से दिन के दौरान मामूली राहत मिल सकती है। उन्होंने बताया कि शहर में इस तरह की प्रतिकूल वायुमंडलीय परिस्थितियां दो से तीन दिनों तक बनी रह सकती हैं।
दिल्ली में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 दर्ज किया गया।
24 घंटे का औसत एक्यूआई प्रतिदिन शाम चार बजे दर्ज किया जाता है, जो रविवार को 395, शनिवार को 389, शुक्रवार को 415, बृहस्पतिवार को 390, बुधवार को 394, मंगलवार को 365, सोमवार को 348 और 19 नवंबर को 301 रहा।
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के अीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’, 401 और 450 के बीच ‘गंभीर’ एवं 450 के ऊपर ‘अत्यंत गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।
राष्ट्रीय राजधानी में नवंबर, 2023 में अब तक 10 दिनों में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही है।
शहर में पिछले वर्ष नवंबर में ऐसे केवल तीन दिन थे जबकि वर्ष 2021 में इस तरह के 12 दिन दर्ज किए गए जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निगरानी शुरू करने के बाद सबसे अधिक है।
सीपीसीबी के अनुसार, गंभीर श्रेणी वाले दिन नवंबर 2020 में नौ, 2019 में सात, 2018 में पांच, 2017 में सात, 2016 में 10 और 2015 में छह थे।
दिल्ली सरकार और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर की एक संयुक्त परियोजना के अनुसार, जैव ईंधन जलाना दिल्ली की खराब हवा का शीर्ष कारण था, जिसका पिछले कुछ दिनों में राजधानी के वायु प्रदूषण में योगदान 31 से 51 प्रतिशत रहा।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने संबंधित एजेंसियों और विभागों को प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्ती से अंकुश लगाने और जैव ईंधन जलाने की बढ़ती घटनाओं को रोकने का निर्देश दिया है।
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