नयी दिल्ली, 15 फरवरी उच्चतम न्यायालय दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण के विवादित मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की याचिका पर तीन मार्च को सुनवाई करने के लिए मंगलवार को सहमत हो गया।
दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर किसका नियंत्रण होगा, यह विवाद 2019 के एक खंडित फैसले के बाद पैदा हो गया था। 14 फरवरी, 2019 को न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की दो सदस्यीय पीठ ने प्रधान न्यायाधीश से सिफारिश की थी कि राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे पर खंडित फैसले के मद्देनजर अंतिम फैसला करने के लिए तीन-न्यायाधीशों की पीठ गठित की जाए।
न्यायमूर्ति भूषण ने फैसला दिया था कि प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है। हालांकि न्यायमूर्ति सीकरी ने अलग फैसला दिया था। उन्होंने कहा कि शीर्ष पदों (संयुक्त निदेशक और उससे ऊपर) पर अधिकारियों के तबादले या तैनाती केवल केंद्र सरकार द्वारा ही की जा सकती है।
दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया।
सिंघवी ने कहा कि यह मामला इस सवाल से संबंधित है कि क्या दिल्ली सरकार का अपने आईएएस अधिकारियों पर कोई नियंत्रण और शक्ति है या नहीं। इसकी सुनवाई 2020 में और फिर 2021 में दिवाली की छुट्टी के बाद होनी थी।
इस पर पीठ ने तीन मार्च को सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध किया। पीठ में न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।
प्रधान न्यायाधीश नीत पीठ ने पांच अक्टूबर को कहा था कि वह दिवाली की छुट्टी के बाद आप सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए तीन-न्यायाधीशों की पीठ का गठन करेगी।
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