देश की खबरें | सीसीआई जांच को लेकर व्हाट्सऐप, फेसबुक की याचिका पर 21 जुलाई को सुनवाई करेगा दिल्ली उच्च न्यायालय
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नयी दिल्ली, 30 मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को व्हाट्सऐप और फेसबुक की उस अपील को 21 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जिसमे अदालत की एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश को चुनौती दी गई है और कहा कि “डेटा साझाकरण” के मुद्दे पर गौर करना होगा।
उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा इंस्टेंट मैसेजिंग मंच की नई गोपनीयता नीति की जांच के आदेश के खिलाफ उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति पूनम ए बंबा की पीठ ने संसद के समक्ष डेटा संरक्षण कानून के लंबित होने के मद्देनजर मामले को कुछ समय के लिए टालने की व्हाट्सऐप के वरिष्ठ वकील के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर दी और निर्देश दिया कि पक्षकार मामले में अपनी लिखित दलीलें दाखिल करें ।
न्यायमूर्ति शकधर ने कहा, “डेटा साझा करना, डेटा को खारिज करना…किसी को इस पर गौर करने की जरूरत है। इस मामले के अलावा, वे कहते हैं कि प्रत्येक नागरिक पर 5,000 डेटा बिंदु हैं... वे भविष्यवाणी कर सकते हैं कि आप किसी स्थिति में क्या करने जा रहे हैं।”
कथित रूप से फेसबुक उपयोगकर्ताओं के डेटा के अवैध रूप से संग्रहण के लिए जांच का सामना कर रही ब्रिटेन की एक कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका का जिक्र करते हुए न्यायाधीश ने फेसबुक पर “बंद समूहों” में डेटा साझा करने के पहलू पर सवाल उठाया।
व्हाट्सऐप का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि व्हाट्सऐप “संदेशों को नहीं देखता है” और उसके पास केवल “बाहरी जानकारी” जैसे फोन नंबर और व्यापार की मात्रा है।
उन्होंने कहा कि फेसबुक पर व्यक्ति अपने जीवन को सार्वजनिक डोमेन में रखता है।
उन्होंने अदालत से कहा कि जैसा कि व्हाट्सऐप ने पहले कहा था, जब तक डेटा संरक्षण कानून अस्तित्व में नहीं आता, तब तक यह अपने उपयोगकर्ताओं को अद्यतन गोपनीयता नीति का विकल्प चुनने के लिए मजबूर नहीं करेगा और जब संसद इस मुद्दे पर संसद विचार कर रही है तो सीसीआई द्वारा नीति की जांच को जारी रखने का कोई सवाल ही नहीं था।
साल्वे ने कहा, “अगर हमारे पास (सुनवाई की अगली तारीख तक) विधेयक है, तो अच्छा है। अन्यथा कानून के आधार पर इसे तय करें।”
अदालत ने फेसबुक और व्हाट्सऐप को दो सीसीआई नोटिसों का जवाब दाखिल करने के लिए समय देने के अंतरिम आदेश को भी बढ़ा दिया। नोटिस में उनसे जांच के उद्देश्य से कुछ जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।
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