नयी दिल्ली, 28 जुलाई राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को बैठक चार बार के स्थगन के बाद अपराह्न करीब चार बजे दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में आज भी तीन विपक्षी सदस्यों को सप्ताह के शेष समय के लिए निलंबित किया गया।
उच्च सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों ने राष्ट्रपति को लोकसभा में कांग्रेस के नेता द्वारा ‘‘राष्ट्रपत्नी’’ कहे जाने का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस और उनकी अध्यक्ष से माफी की मांग की। विपक्षी दलों के सदस्यों ने निलंबित सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने और महंगाई तथा कुछ वस्तुओं को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने के मुद्दे उठाने की मांग करते हुए हंगामा किया।
सदन में आज अशोभनीय आचरण को लेकर तीन सदस्यों को इस सप्ताह की शेष अवधि के लिए सदन से निलंबित भी किया गया।
हंगामे के चलते उच्च सदन की बैठक तीन बार बाधित हुई और शून्यकाल तथा प्रश्नकाल नहीं हो पाए।
पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने कहा कि स्पष्ट निर्देशों और चेतावनी के बावजूद कुछ सदस्य सदन की मोबाइल फोन पर कार्यवाही रिकार्ड कर रहे हैं और उसे दूसरों को दे रहे हैं। उन्होंने सदस्यों को ऐसा न करने के लिए कहा।
इसी बीच, कुछ विपक्षी सदस्य आसन के निकट आकर हंगामा करने लगे।
नायडू ने उनको आगाह किया कि वे सदन में ‘‘तख्तियां’’ लेकर ना आएं नहीं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी और उनके नाम बुलेटिन में डाले जाएंगे।
हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लोकसभा में कांग्रेस के नेता द्वारा ‘‘राष्ट्रपत्नी’’ कह कर संबोधित करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के लिए ऐसी टिप्पणी, राष्ट्रपति के साथ ही महिलाओं का भी अपमान है।
सीतारमण ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यह शब्द गलती से कांग्रेस नेता के मुंह से निकल गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता ने जानबूझकर ऐसा किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह राष्ट्रपति का अपमान है। यह अस्वीकार्य है। कांग्रेस और उसकी अध्यक्ष इसके लिए माफी मांगें।’’
सत्ताधारी दल के सदस्यों ने सीतारमण की मांग का समर्थन किया। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के सदस्यों ने निलंबित सदस्यों का निलंबन वापस लिए जाने और महंगाई तथा कुछ वस्तुओं को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने का मुद्दा उठाते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
सदन में व्यवस्था बनते न देख सभापति ने कार्यवाही 11 बजकर 10 मिनट पर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने राष्ट्रपति के बारे में कांग्रेस नेता की विवादित टिप्पणी का जिक्र किया और उसे अस्वीकार्य बताया।
इसी दौरान विपक्ष के कुछ सदस्य अपनी मांगों के समर्थन में आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। उधर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्य राष्ट्रपति के संबंध में कांग्रेस नेता की टिप्पणी पर विरोध जता रहे थे।
सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह मामला लोकसभा के एक सदस्य से संबंधित है और इसलिए यहां नहीं उठाया जा सकता। इस पर उपसभापति हरिवंश ने कुछ कहा लेकिन सदन में हो रहे शोरगुल के कारण उनकी बात ठीक से सुनी नहीं जा सकी।
इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने नियम 256 के तहत विपक्ष के तीन सदस्यों सुशील कुमार गुप्ता और संदीप पाठक (दोनों आम आदमी पार्टी) तथा अजीत कुमार भुइयां (निर्दलीय) को सदन में अशोभनीय आचरण के लिए मौजूदा सप्ताह के शेष समय के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव किया।
सदन ने उनके इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। विपक्षी सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर मत-विभाजन की मांग की। इस पर हरिवंश ने कहा कि पहले हंगामा कर रहे सदस्य अपनी सीट पर जाएं, फिर वह मत-विभाजन की अनुमति देंगे। लेकिन आसन के समीप आए सदस्य वहीं नारेबाजी करते रहे।
सदन में व्यवस्था नहीं बनते देख उपसभापति ने 12:05 बजे बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
आज निलंबित किए गए गुप्ता, पाठक और भुइयां को मिला कर अब तक उच्च सदन से कुल 23 विपक्षी सदस्य मानसून सत्र के मौजूदा सप्ताह के शेष समय के लिए निलंबित किए जा चुके हैं।
दो बजे बैठक शुरू होने पर सदन में वही नजारा था। पीठासीन उपाध्यक्ष तिरूचि शिवा ने आसन के समक्ष आ कर हंगामा कर रहे सदस्यों को नारेबाजी नहीं करने और अपने स्थानों पर वापस जाने को कहा।
शिवा ने आप सदस्य सुशील कुमार गुप्ता एवं संदीप पाठक तथा निर्दलीय अजीत कुमार भुइयां से सदन से बाहर चले जाने को कहा। किंतु उनकी अपील का कोई असर नहीं पड़ा।
इस बीच सत्ता पक्ष के कई सदस्यों को भी अपने स्थानों पर खड़े देखा गया।
हंगामे के कारण पीठासीन उपाध्यक्ष शिवा ने महज पांच मिनट के भीतर बैठक को अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
अपराह्न तीन बजे बैठक पुन: शुरू होने पर पीठासीन उपाध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने कहा कि सदन में नियत कामकाज होना है इसलिए जिन तीन सदस्यों को निलंबित किया गया है, वे सदन से बाहर चले जाएं।
निलंबित तीनों सदस्य सदन में ही थे।
इस बीच, सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कांग्रेस से राष्ट्रपति को ‘राष्ट्रपत्नी’ कहे जाने पर माफी की मांग को लेकर तथा विपक्षी सदस्यों ने उनका विरोध करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी सदस्यों ने अपने-अपने मुद्दों पर चर्चा की भी मांग की।
कालिता ने हंगामा थमते न देख तीन बज कर करीब पांच मिनट पर बैठक चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
चार बार के स्थगन के बाद अपराह्न चार बजे बैठक पुन: शुरू होने पर पीठासीन उपाध्यक्ष तिरुचि शिवा ने कहा कि जिन तीन सदस्यों को निलंबित किया गया है, वे सदन से बाहर चले जाएं।
इस बीच, हंगामा फिर शुरू हो गया। माकपा सदस्य जॉन ब्रिटॉस ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया जिस पर शिवा ने कहा ‘‘जब सदन में व्यवस्था ही नहीं है तो ऐसे में व्यवस्था के प्रश्न का सवाल ही नहीं उठता।’’
उन्होंने आसन के समक्ष आ कर हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने का तथा निलंबित सदस्यों से सदन से बाहर चले जाने का अनुरोध किया।
सदन में व्यवस्था बनते न देख पीठासीन उपाध्यक्ष ने चार बज कर महज तीन मिनट पर ही बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होने के बाद विभिन्न मुद्दों को लेकर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है जिसकी वजह से सदन में अपेक्षित कामकाज नहीं हो पा रहा है।
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