देश की खबरें | मोटे अनाजों की खेती को सभी स्तरों पर प्रोत्साहित किया जाए : मिश्र
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्व की बढ़ती आबादी को पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए मोटे अनाजों की खेती को सभी स्तरों पर प्रोत्साहित किए जाने पर बल दिया है।
जयपुर, 16 मार्च राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्व की बढ़ती आबादी को पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए मोटे अनाजों की खेती को सभी स्तरों पर प्रोत्साहित किए जाने पर बल दिया है।
उन्होंने कहा कि पोषण से भरपूर मोटे अनाजों के नियमित सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है, इसलिए मोटे अनाजों को आम जनता में लोकप्रिय करने के अधिकाधिक प्रयास किए जाने चाहिए।
जोबनेर के श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को बृहस्पतिवार को राजभवन से डिजिटल तौर पर संबोधित करते हुए मिश्र ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि मोटे अनाज बाजरा, ज्वार, रागी, कुटकी, संवा, कंगनी, चेना एवं कोदो पारम्परिक रूप से भारतीय भोजन का हिस्सा रहे हैं। राजस्थान के अधिकतर हिस्सों में आज भी मोटा अनाज आम लोगों के भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
राज्यपाल ने कहा कि यह समय स्मार्ट कृषि का है। रिमोट सेन्सिंग, आईओटी, रोबोटिक्स, बिग डाटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने खेती में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है।
उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को स्मार्ट खेती से जुड़ी नई तकनीकों के प्रति किसानों को जागरूक करना होगा।
मिश्र ने कहा कि बिगड़ते मौसम तंत्र, जैव विविधता पर संकट और सिंचाई के साधनों के अभाव के संबंध में व्यापक सोच रखते हुए कृषि शिक्षा को नये आयाम दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से खेती पर पड़ रहे दुष्प्रभावों की ओर इशारा करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्रों के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन का विस्तृत अध्ययन किए जाने का सुझाव दिया।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि पद्धतियों के प्राचीन और नवीन ज्ञान का संयोजन करते हुए किसानों के लिए प्रभावी पद्धतियां तैयार करने की आवश्यकता है ताकि कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी, खाद्य सुरक्षा हेतु खाद्य उत्पादन एवं भंडारण, पर्याप्त पोषण युक्त खाद्य उपलब्ध कराने के वांछित लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
इस अवसर पर 32 विद्यार्थियों को पीएचडी, 75 को स्नातकोत्तर, 3 को समेकित कृषि स्नातकोत्तर उपाधियां, 985 विद्यार्थियों को कृषि स्नातक उपाधियां तथा आठ विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
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