देश की खबरें | न्यायालय ने कश्मीरी अलगाववादी समूह के रुपये आरबीआई शाखा में बदलने संबंधी जनहित याचिका खारिज की

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर कश्मीर में सक्रिय एक अलगाववादी समूह के 30 करोड़ रुपये मूल्य के विरूपित नोट को बदलने का आरोप लगाया गया था।

नयी दिल्ली, 10 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर कश्मीर में सक्रिय एक अलगाववादी समूह के 30 करोड़ रुपये मूल्य के विरूपित नोट को बदलने का आरोप लगाया गया था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह जनहित याचिका खारिज की। इस याचिका में आरोपों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का अनुरोध किया था। इससे पहले आरबीआई ने अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता सतीश भारद्वाज को आरबीआई से निकाल दिया गया था और उन्होंने अदालत के सामने इस तथ्य को छुपाया है।

पीठ ने आरबीआई की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता से कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि वह एक बैंक के बदनाम कर्मचारी हैं।’’

गुप्ता ने न्यायालय से कहा कि भारद्वाज के दावे का कोई आधार नहीं है।

भारद्वाज ने व्यक्तिगत रूप से पेश हुए और इस मुद्दे पर एक अखबार की खबर का हवाला दिया और कहा कि आरबीआई जनहित याचिका दायर होने के पांच साल बाद आरोपों से इनकार कर रहा है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन्होंने ही अपनी याचिका में प्रासंगिक तथ्य छुपाये हैं।

भारद्वाज ने स्वीकार किया कि उन्हें केंद्रीय बैंक ने बर्खास्त कर दिया है। इसके बाद पीठ ने कहा,‘‘हम कथित तौर पर जनहित में दायर की गई इस रिट याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। तदनुसार, इसे खारिज किया जाता है।’’

शीर्ष अदालत ने सात जनवरी, 2020 को केंद्र से जनहित याचिका पर गौर करने का निर्देश देते हुए कहा कि ‘‘मुद्दा राष्ट्रीय महत्व का हो सकता है’’।

भारद्वाज ने आरोप लगाया कि 2013 में आरबीआई की जम्मू शाखा ने उन नोटों को बदला, जो ‘‘कश्मीर ग्रैफिटी’’ नामक अलगाववादी समूह के थे।

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