नयी दिल्ली, 26 जून उच्चतम न्यायालय ने यस बैंक धन शोधन मामले में डीएचएफएल के प्रवर्तकों धीरज वधावन और कपिल वधावन की अग्रिम जमानत की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। धन शोधन मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है।
वधावन ने गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिये उनकी याचिका खारिज करने के बंबई उच्च न्यायालय के 12 मई के आदेश को चुनौती दी थी। वधावन बंधु इस समय सीबीआई द्वारा दर्ज किये गये एक अलग मामले में जेल में हैं।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ से वधावन बंधुओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह याचिका में किये गये अनुरोध पर जोर नहीं दे रहे हैं। इसके बाद पीठ ने इनकी चारों याचिका खारिज कर दीं।
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और अब उनकी अग्रिम जमानत याचिका निरर्थक हो गयी हैं।
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पीठ ने इसके बाद इन याचिकाओं को खारिज कर दिया क्योंकि इन्हें वापस ले लिया गया था।
उच्च न्यायालय ने वधावन बंधुओं को अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुये कहा था कि करोड़ों रूपए के इस घोटाले की साजिश और इसे अंजाम देने के तरीकों का पर्दाफाश करने के लिये दोनों से हिरासत में पूछताछ किये जाने की आवश्यकता है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में इस तथ्य का भी जिक्र किया था कि ये दोनों जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं जबकि प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें इन मामलों में पूछताछ के लिये अनेक सम्मन जारी किये थे।
धीरज और कपिल वधावन को केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने यस बैंक घोटाले के सिलसिले में अप्रैल में गिरफ्तार किया था।
जांच ब्यूरो की प्राथमिकी के अनुसार यह घोटाला अप्रैल से जून 2018 के दौरान शुरू हुआ जब यस बैंक ने घोटाले में फंसी डीएचएफएल में 3,700 करोड़ रूपए का निवेश किया था। आरोप है कि इसके एवज में वधावन बंधुओं ने यस बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राणा कपूर और उनके परिवार के सदस्यों को डूइट अर्बन वेन्चर्स इंडिया प्रा लि को कर्ज के नाम पर कथित रूप से दलाली के रूप में 600 करोड़ रूपए दिये थे। यह कंपनी राणा कपूर की पत्नी और उनकी पुत्रियों के स्वामित्व वाली है।
अनूप
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