देश की खबरें | 'न्यायालय की रजिस्ट्री, एनआईसी के पास लाइव स्ट्रीमिंग के लिए तकनीक, बुनियादी ढांचे की कमी'
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नयी दिल्ली, 27 नवंबर उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के पास वर्तमान में तीसरे पक्ष के सहयोग के बिना इंटरनेट के माध्यम से अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण (लाइव-स्ट्रीम) के लिए “पर्याप्त तकनीक और बुनियादी ढांचा” नहीं है।
शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विचारक के.एन. गोविंदाचार्य की याचिका के जवाब में यह जानकारी दी है।
शीर्ष अदालत ने 17 अक्टूबर को गोविंदाचार्य की याचिका पर अपनी रजिस्ट्री को नोटिस जारी किया था, जिसमें अदालत की कार्यवाही के ‘सीधे प्रसारण’ पर कॉपीराइट की सुरक्षा को लेकर यू-ट्यूब के साथ एक विशेष व्यवस्था के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। इसी प्रकार की एक व्यवस्था 2018 के फैसले में की गई थी।
उच्चतम न्यायालय के कंप्यूटर प्रकोष्ठ के रजिस्ट्रार एच एस जग्गी ने एक हलफनामे में कहा, “प्रौद्योगिकी में लगातार सुधार हो रहा है और प्रतिवादी संख्या-1 (न्यायालय रजिस्ट्री) आत्मनिर्भर प्रणाली विकसित करने के लिए लगातार काम कर रही है। यह माननीय न्यायालय के संज्ञान में लाया जा सकता है कि वर्तमान में न केवल रजिस्ट्री, बल्कि एनआईसी के पास भी पर्याप्त तकनीक और ऐसा बुनियादी ढांचा नहीं है जिससे कि बिना किसी तीसरे पक्ष के अनुप्रयोग और समाधान के लाइव स्ट्रीमिंग की जा सके।”
याचिका में गोविंदाचार्य ने वकील विराग गुप्ता के माध्यम से कहा है कि न्यायालय की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार की जानी चाहिए जिसमें कहा गया था कि ‘लाइव-स्ट्रीमिंग’ से की गयी कार्यवाही पर कॉपीराइट के अधिकार को छोड़ा नहीं जा सकता है और जैसा कि मौजूदा मामले में है, यू-ट्यूब जैसे मंच द्वारा डेटा का न तो मुद्रीकरण किया जा सकता है और न ही व्यावसायिक रूप से उपयोग किया जा सकता है।
रजिस्ट्रार ने हलफनामे में कहा कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री लगातार “स्वपोषित, स्वत: स्फूर्त और आत्मनिर्भर लाइव-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म” के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है।
जवाब में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर दर्शकों के लिए लाइव स्ट्रीमिंग सेवाओं की पेशकश करने के लिए तीसरे पक्ष के सहयोग पर निर्भरता “अपरिहार्य” है।
रजिस्ट्री ने शीर्ष अदालत को बताया, “हालांकि, यह एक अस्थायी/अंतरिम उपाय है। इसे लेकर कार्य प्रगति पर है और पूरी लाइव स्ट्रीमिंग को एक स्व-पोषित परितंत्र बनाने की दिशा में सभी प्रयास किए जा रहे हैं।”
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